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नई दिल्ली35 मिनट पहले
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टेक कंपनी गूगल ने 1338 करोड़ रुपए के जुर्माने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने 29 मार्च को गूगल पर लगे के जुर्माने के आदेश को बरकरार रखा था जिसके बाद गूगल ने यह कदम उठाया है।
कॉम्पिटिशन कमिशन ऑफ इंडिया (CCI) ने पिछले साल अनफेयर बिजनेस प्रैक्टिस के मामले में गूगल पर दो मामलों में यह जुर्माना लगाया था। गूगल पर एंड्रॉयड मोबाइल इकोसिस्टम में अपनी पोजिशन का गलत तरीके से इस्तेमाल करने का आरोप है।
गूगल ने कहा- एंड्रॉयड ने भारतीय यूजर्स को फायदा पहुंचाया
गूगल ने बयान जारी करते हुए कहा, ‘हमने आज एंड्रॉयड मामले में NCLAT के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका दायर की है। NCLAT ने भी पाया था कि अनफेयर बिजनेस प्रैक्टिस से नुकसान को अभी साबित करने की जरूरत है।
हम सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना मामला पेश करने के लिए उत्सुक हैं कि कैसे एंड्रॉयड ने भारतीय यूजर्स को फायदा पहुंचाया और भारत में डिजिटल परिवर्तन को रफ्तार दी।’
गूगल पर 1338 करोड़ का जुर्माना क्यों लगा था?
गूगल के बिजनेस के 2 तरीकों को CCI ने गलत माना-
1. गूगल-पे को हर ऐप का डिफॉल्ट पेमेंट सिस्टम बनाने का दबाव
गूगल ने अपने प्ले स्टोर पर पब्लिश होने वाले हर ऐप पर यह दबाव बनाया था कि वह ऐप से जुड़े हर पेमेंट को गूगल के पेमेंट प्लेटफॉर्म गूगल-पे के जरिये प्रोसेस करे। यह हर In-app Purchase गूगल-पे के जरिये किया जाए। इस पर ऐप पब्लिशर्स ने आपत्ति जताई थी।
CCI ने भी माना कि यह दबाव गलत है। इससे ऐप पब्लिशर्स बेहतर डील मिलने के बावजूद बाकी पेमेंट प्लेटफॉर्म्स से टाई-अप नहीं कर पाते। साथ ही इसे बाकी पेमेंट प्लेटफॉर्म्स को गलत तरीके से दबाने और बाजार में मोनोपली बनाने का जरिया माना गया।

गूगल ने अपने प्ले स्टोर पर पब्लिश होने वाले हर ऐप पर गूगल-पे को डिफॉल्ट पेमेंट सिस्टम बनाने का दबाव बनाया था।
2. एंड्रॉयड पर गूगल के ऐप्स की बंडलिंग अनिवार्य करना
गूगल का एंड्रॉयड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला मोबाइल OS है। गूगल ने फोन निर्माता कंपनियों पर दबाव बनाया था कि वह हर नए फोन गूगल के ऐप्स (गूगल सर्च, यू-ट्यूब, क्रोम आदि) डिफॉल्ट के तौर पर शामिल करें।
उन्हें इसी शर्त पर एंड्रॉयड के इस्तेमाल की इजाजत मिलती है। CCI ने इसे भी गलत माना। इससे एंड्रॉयड फोन्स पर गूगल के ऐप्स की मोनोपली बन रही थी। सैमसंग जैसी कंपनियां जो अपने सर्च इंजन भी यूजर्स को देती हैं, उनके लिए यह शर्त मुश्किलें बढ़ा रही थी।

गूगल ने फोन निर्माता कंपनियों पर हर नए फोन में गूगल के ऐप्स को डिफॉल्ट के तौर पर शामिल करने का दबाव बनाया था।