(आशुतोष कुमार ठाकुर)
हिन्दी के प्रतिष्ठित कथाकार ज्ञानरंजन ने अपनी पत्रिका ‘पहल’ में गीत चतुर्वेदी का परिचय देते हुए लिखा था, ‘अपने कथन में लफ़्ज़ की बारीक नक़्क़ाशी के साथ गद्य में भी कविता की सुगंध, गीत के लेखन की विशेषता रही है.’
गीत चतुर्वेदी की ताज़ा किताब ‘अधूरी चीज़ों का देवता’ पढ़ते हुए यह बात सौ फ़ीसदी सही जान पड़ती है. कविता जैसी नाज़ुक भाषा में भी फिलॉसफ़ी के गूढ़ प्रश्नों पर चर्चा करना और उसे कहीं से बोझिल न होने देना, गीत के गद्य को बेहद ख़ास बना देता है.
रुख़ पब्लिकेशन्स से प्रकाशित ‘अधूरी चीज़ों का देवता’ गीत चतुर्वेदी के जादुई गद्य का ताज़ा उदाहरण है. उनके पाठक यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि उनके अध्ययन का दायरा बेहद विस्तृत है. इसकी झलक इस किताब में भी मिल जाती है. इसमें गीत द्वारा लिखे गए संस्मरण हैं, निबंध हैं, डायरी के अंश हैं और काव्यात्मक गद्य है. विषयों की विविधता, भाषा की प्रांजलता और अंतर्धारा की तरह बहती अंतर्दृष्टि गीत की इस किताब को अनूठा रंग प्रदान करती है.एक नज़र देखिए कि इस किताब में किन विषयों पर निबंध हैं- विश्व साहित्य, विश्व सिनेमा, कला, संगीत, हिन्दी कविता, संस्कृत काव्य, महाकवि कालिदास का मेघदूत, महाकवि श्रीहर्ष का नैषध ग्रंथ, कारवी के फूल, प्रूस्त का ओवरकोट, नैथेनियल हॉथोर्न की कहानियां, ग्रीक मिथॉलजी, हीब्रू बाइबल, उपनिषद और बुद्ध की बातें आदि.
दरअसल, गीत चतुर्वेदी को पढ़ना एक हरे-भरे साहित्यिक विश्वकोश की आनंददायी लम्बी यात्रा करने के समान है. उनकी की गिनती भारत के शीर्षस्थ कवियों में होती है, लेकिन उनके गद्यकार रूप से रूबरू होते हुए जो बात सबसे अधिक प्रभावित करती है कि गीत बहुत सुन्दर किताबें पढ़ते हैं, पूरी गहराई से उनका मनन करते हैं, और उस पढ़े हुए पर उतनी ही सुन्दरता के साथ अपनी लिखावट में चर्चा करते हैं. यह एक दुर्लभ कौशल है.
संभवत: इसी कारण, भारत के प्रसिद्ध कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी ने गीत चतुर्वेदी की रचनाशीलता के बारे में कहा है, ‘साहित्य को जीने की शक्ति देनेवाला माननेवाले गीत चतुर्वेदी का गद्य कई विधाओं को समेटता है. उसमें साहित्य, संगीत, कविता, कथा आदि पर विचार रखते हुए एक तरह का बौद्धिक वैभव और संवेदनात्मक लालित्य बहुत घने गुंथे हुए प्रकट होते हैं. उनमें पढ़ने, सोचने, सुनने, गुनने आदि सभी का सहज, पर विकल विन्यास भी बहुत संश्लिष्ट होता है.’
‘एक लेखक के रूप में गीत की रुचि और आस्वादन का वितान काफ़ी फैला हुआ है, लेकिन उनमें इस बात का जतन बराबर है कि यह विविधता बिखर न जाए. उसे संयमित करने और फिर भी उसकी स्वाभाविक ऊर्जा को सजल रखने का हुनर उन्हें आता है.’
किताब की शुरुआत होती है ‘बिल्लियां’ शीर्षक संस्मरण से. इसमें गीत चतुर्वेदी ने अपने बचपन के दिनों का चित्र खींचा है. उनका सबसे प्रिय बिलौटा नूरू किस तरह शरारतें करके सबका दिल लुभाता था और कैसे उसकी मृत्यु ने कई लोगों को ग़मगीन कर दिया था, यह इस संस्मरण के केंद्र में है. इसके साथ-साथ जीवन और जानवरों के संबंध पर गीत चतुर्वेदी के वन-लाइनर्स इसमें एक अलग ही रंग भर देते हैं. यह उतनी ही आत्मीयता और प्रेम में डूब कर लिखा गया संस्मरण है,
जितने महादेवी वर्मा के रेखाचित्र.
इस संस्मरण में गीत एक जगह कहते हैं, ‘बिल्ली अगर तुमसे प्यार करेगी, तो तोहफ़े में खरोंचे ही देगी. उसकी शिकायत ग़ैर-वाजिब है.’
यह क़िस्सों की किताब है. कुछ कपोल कल्पना, कुछ आपबीती, कुछ दास्तानगोई, कुछ बड़बखानी. अंग्रेज़ी में जिसे कहते हैं- ‘नैरेटिव प्रोज़’. वर्णन को महत्व देने वाला गद्य, ब्योरों में रमने वाला गल्प. कहानी और कहन के दायरे से बाहर यहां कुछ नहीं है. यह ‘हैप्पी कंटेंट’ की किताब है. कौतूहल इसकी अंतर्वस्तु है. क़िस्सों की पोथी की तरह किसी भी पन्ने से खोलकर इसे पढ़ा जा सकता है.
मराठी के चर्चित आदिवासी कवि भुजंग मेश्राम गीत के किशोरावस्था के मित्र थे. गीत की साहित्यक-सांस्कृतिक समझ की बुनावट और विकास में भुजंग मेश्राम का बड़ा योगदान है. उन पर लिखा संस्मरण इस बात की तस्दीक़ करता है. गीत इस संस्मरण में भुजंग की एक भावनात्मक, जीवंत तस्वीर खींचने में पूरी तरह कामयाब होते हैं.
इस किताब में संकलित निबंध ‘कारवी के फूल’ अपनी विषय-संवेदना, अध्ययन और लालित्य-बोध के कारण गीत चतुर्वेदी को आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की परंपरा में खड़ा करता है. यह एक आधुनिक ललित निबंध है, जो मुंबई के पास तटीय क्षेत्रों से कोंकण पट्टी तक के पर्वतों पर उगने वाले एक कमनाम-गुमनाम फूल ‘कारवी’ के बहाने हमारे जीवन में फूलों की उपस्थिति को बयान करता है. गीत चतुर्वेदी का लिखा समय से परे है, इमोशन की गहरी पकड़ और रूपकों के माध्यम से बहुत कुछ कह जाते हैं.
फूल सिर्फ़ कोमल नहीं होता, बल्कि वह शक्ति और संघर्ष का प्रतीक भी हो सकता है. इस ललित निबंध के अंत में गीत चतुर्वेदी कहते हैं, ‘रौंदे जाने के तमाम इतिहास के बाद भी सिर उठाकर खड़ा एक फूल ताक़त की प्रेरणा है. देवता की आराधना करें या न करें, लेकिन उसके चरणों में पड़े फूल की आराधना ज़रूर करनी चाहिए.’
इस किताब का एक खंड गीत की डायरी के अंशों से बना है. उनकी डायरी हमेशा से ही पाठकों के बीच एक विशेष आकर्षण रही है. उसमें गीत चतुर्वेदी, कविता से इतर काव्यात्मक नोट्स लिखते हैं. इनमें से कई पंक्तियां किताब छपने से पहले ही सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो चुकी हैं. कुछ उदाहरण देखिए-
‘जिसकी अनुपस्थिति में भी तुम जिससे मानसिक संवाद करते हो, उसके साथ तुम्हारा प्रेम होना तय है.’
‘कुछ लोग रोना रोकते हैं, बेहिसाब रोकते हैं, इसलिए नहीं कि वे मज़बूत होते हैं, बल्कि इसलिए कि उनके आसपास कमज़ोर कंधों का कारवां होता है.’
‘जाने देना भी प्रेम है. लौटे हुए को शामिल करना भी प्रेम है.’
‘जो गीत सिर्फ़ तुम्हारे लिए गाया गया,
उसे सुर, राग, ताल की कसौटी पर मत कसना.
प्रेम उसी गीत में कहीं होगा.
बाक़ी तो कला है, जो कि दुनिया में बहुत है.’
‘अधूरी चीज़ों का देवता’ नैरेटिव प्रोज़ की यह किताब अपने भीतर एक समंदर समाए हुए है जिसमें ढेरों मोती बिखरे हैं. जीवन प्रसंगों के इन मोतियों को एक सूत्र में पिरोती इस सुंदर माला संजो कर रखने वाली किताब है, जिसे पाठक हमेशा अपने पास रखना चाहेगा.
गीत चतुर्वेदी (Geet Chaturvedi)
27 नवंबर, 1977 को मुंबई में जन्मे गीत चतुर्वेदी को हिंदी के सबसे ज़्यादा पढ़े जाने वाले समकालीन लेखकों में से एक माना जाता है. गीत इन दिनों भोपाल रहते हैं. उनकी दस किताबें प्रकाशित हैं, जिनमें दो कहानी-संग्रह (‘सावंत आंटी की लड़कियां’ और ‘पिंक स्लिप डैडी’, दोनों 2010) तथा दो कविता-संग्रह (‘आलाप में गिरह’, 2010 व ‘न्यूनतम मैं’, 2017) शामिल हैं. साहित्य, सिनेमा व संगीत पर लिखे उनके निबंधों का संग्रह ‘टेबल लैम्प’ 2018 में आया.
कविता के लिए गीत को भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार तथा गल्प के लिए कृष्णप्रताप कथा सम्मान, शैलेश मटियानी कथा सम्मान व कृष्ण बलदेव वैद फेलोशिप मिल चुके हैं। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ सहित कई प्रकाशन संस्थानों ने उन्हें भारतीय भाषाओं के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में शुमार किया है.
गीत चतुर्वेदी की रचनाएं देश-दुनिया की 19 भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं. उनकी कविताओं के अंगे्रज़ी अनुवाद का संग्रह ‘द मेमरी ऑफ नॉउ’ 2019 में अमेरिका से प्रकाशित हुआ. उनके नॉवेल ‘सिमसिम’ के अंग्रेज़ी अनुवाद को (अनुवादक-अनिता गोपालन) ‘पेन अमेरिका’ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित ‘पेन-हैम ट्रांसलेशन ग्रांट’ से सम्मानित किया है.
ख़ूबसूरत लेखन, रोचक प्रसंगों और कभी-कभी किसी सामान्य से प्रसंग को ख़ूबसूरत कथन के जादू से अविस्मरणीय बना देना, यह इस पुस्तक और लेखक की ख़ासियत है। गीत चतुर्वेदी एक ऐसे लेखक हैं, जिन्हें जितनी बार पढ़ा जाए, हर बार वह एक नए अर्थ के साथ प्रस्तुत होते हैं. इसी में गीत के रचनात्मक सम्मोहन का रहस्य छिपा हुआ है.
पुस्तक: अधूरी चीज़ों का देवता
लेखक: गीत चतुर्वेदी
प्रकाशक: रुख़ पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली
मूल्य: रुपए 199
(समीक्षक, आशुतोष कुमार ठाकुर, पेशे से मैनेजमेंट कंसलटेंट तथा कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल के सलाहकार हैं.)