Home Entertainment रिक्शा चालक के बेटे से IAS ऑफिसर बनने तक की इमोशनल कहानी, असल जिंदगी से इंस्पायर है फिल्म | ‘Ab Dilli Door Nahin’ Movie Review

रिक्शा चालक के बेटे से IAS ऑफिसर बनने तक की इमोशनल कहानी, असल जिंदगी से इंस्पायर है फिल्म | ‘Ab Dilli Door Nahin’ Movie Review

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रिक्शा चालक के बेटे से IAS ऑफिसर बनने तक की इमोशनल कहानी, असल जिंदगी से इंस्पायर है फिल्म | ‘Ab Dilli Door Nahin’ Movie Review

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एक घंटा पहले

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इमरान जाहिद और श्रुति सोढ़ी की फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ 12 मई को रिलीज हो चुकी है। फिल्म एक रिक्शा चालक के बेटे की कहानी से इंस्पायर है, जिनका नाम गोविंद जायसवाल है। 2007 में गोविंद का सेलेक्शन सिविल सेवा में हुआ था और IAS अधिकारी बने थे। गोविंद की कहानी ऐसे कई युवाओं के लिए मिसाल है, जो गरीबी को हराते हुए सपना पूरा करने का जज्बा रखते हैं। फिल्म में गोविंद जायसवाल का रोल इमरान जाहिद ने निभाया है।
प्रेम कहानी से लेकर IAS बनने तक की जर्नी को पर्दे पर उतारा
इस फिल्म में बेहद खूबसूरती से एक गरीब लड़के की IAS बनने तक की जर्नी को पर्दे पर बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया है। साथ ही फिल्म में लव स्टोरी का एंगल भी दिखाया गया है, जो कि त्याग से भरा है।

यूपी-बिहार के बच्चे कहानी को कर सकेंगे रिलेट
अब दिल्ली दूर नहीं की कहानी ऐसी है, जिसे उत्तर प्रदेश के लाखों छात्र आसानी से रिलेट कर सकेंगे। इमरान जाहिद ने फिल्म में बिहार के एक छोटे-से शहर के सीधे-साधे लड़के अभय शुक्ला का किरदार निभाया है, जो बिहार के छोटे सी जगह से निकलकर दिल्ली जैसे बड़े शहर में अपने माता-पिता का सपना पूरा करने के दिल्ली आता है।

दिल्ली पहुंचकर अभय की मुलाकात श्रुति सोढ़ी यानी नियति से होती, जिसके प्यार में युवा लड़का लक्ष्य से भटक जाता है। बाद में श्रुति उसे छोड़कर चली जाती है। इतना ही नहीं अभय शुक्ला को जेल भी जाना पड़ता है। इतनी मुश्किलों को पार करते हुए अभय शुक्ला आखिरकार IAS बनने में सफल होता है। अब अभय को IAS बनने के दौरान किन-किन मुश्किलों से जूझना पड़ता है, यह आपको फिल्म देखकर पता चलेगा।

दिल्ली में शूट किया गया है फिल्म का अधिकतर हिस्सा
फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ की अधिकांश शूटिंग दिल्ली के मुखर्जी नगर, दिल्ली विश्वविद्यालय, कमला नगर, राजेंद्र नगर, कनॉटप्लेस, तिहाड़ जेल और गोविंदपुरी पुलिस स्टेशन जैसी जगहों पर की गई है। हालांकि कुछ सीन्स शूट किए गए हैं। फिल्म का डायरेक्शन कमल चंद्रा ने किया है और कहानी दिनेश गौतम ने लिखी है।

तिहाड़ जेल की महिला कैदियों ने डिजाइन किए है फिल्म के कॉस्ट्यूम
इस फिल्म की खास बात यह है कि इसमें इस्तेमाल किए गए कॉस्ट्यूम तिहाड़ जेल की महिला कैदियों ने तैयार किए हैं। बड़े पर्दे पर ऐसा पहली बार हुआ होगा जब किसी जेल के कैदियों ने फिल्म के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन किए हैं।

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