Home Entertainment सिनेमा लास्ट फिल्म शो… की निंदा करेंगे या कहेंगे ऑस्कर की यात्रा शुभ हो? ट्रेलर देखकर लीजिए फैसला

लास्ट फिल्म शो… की निंदा करेंगे या कहेंगे ऑस्कर की यात्रा शुभ हो? ट्रेलर देखकर लीजिए फैसला

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लास्ट फिल्म शो… की निंदा करेंगे या कहेंगे ऑस्कर की यात्रा शुभ हो? ट्रेलर देखकर लीजिए फैसला

Last Film Show Trailer: ”मैं उजियारे (प्रकाश) को पढ़ना चाहता हूं…, उजियारा से कहानी जन्म लेती है…, कहानी से फिल्म बनती है.” घुप्प अंधेरे में माथे के पीछे से आती चौंधिया देने वाली रोशनी. बड़ी सी स्क्रीन पर बच्चे के हाथ की छाया उभरती है. एक बालक की आवाज गूंजती है- मैं लाइट को पढ़ना चाहता हूं. एक बच्चे की इस आकांक्षा के जाहिर होते ही आप उसकी अभिलाषा के संग हो जाते हैं. फिर आंखों के सामने सिनेमा की रील वाला डब्बा, सिंगल स्क्रीन वाला थियेटर, पुरानी ट्रेन और उसके इंजन के दृश्य, मैदान में दौड़ते बच्चे…! ये सारे एक-एक कर आते जाते हैं. चाय की दुकान, मां का लाड़, समाज की दुत्कार वाले सीन भी दिखते हैं.

यह ट्रेलर है, 95वें ऑस्कर पुरस्कार के लिए भारत की तरफ से भेजी जाने वाली फिल्म ‘लास्ट फिल्म शो’ का. यह मूल रूप से गुजराती फिल्म है, जिसका नाम ‘छेल्लो शो’ है. एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स एंड साइंसेज यानी ऑस्कर पुरस्कार के लिए विदेशी भाषा श्रेणी में हर साल भारत अपनी फिल्में भेजता है. इस बार यह गौरव निर्देशक नलिन पैन की ‘लास्ट फिल्म शो’ को मिला है. चूंकि ऑस्कर में जाने से पहले इस फिल्म का प्रदर्शित होना आवश्यक है, इसलिए बुधवार को इसका ट्रेलर जारी हुआ. 14 अक्टूबर को पूरे भारत में यह फिल्म रिलीज की जाएगी. ‘लास्ट फिल्म शो’ के निर्देशक नलिन पैन गंभीर विषयों पर फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं. उनकी नई फिल्म भी संवेदनशील विषय पर केंद्रित है.

ऑस्कर जाने वाली दूसरी गुजराती फिल्म
ऑस्कर पुरस्कारों के लिए भारत की तरफ से हर साल ऑफिशियल एंट्री के तौर पर फिल्में भेजी जाती हैं. भारत में या भारतीय विषयों या भारतीय कलाकारों के साथ बनी कई फिल्मों ने ऑस्कर पुरस्कार जीता भी है. लेकिन हिंदी हो या कोई अन्य भारतीय भाषा, अभी तक मोशन पिक्चर्स अकादमी की तरफ से विदेशी भाषा श्रेणी में किसी भारतीय फिल्म को ऑस्कर पुरस्कार नहीं दिया गया है. जहां तक गुजराती भाषा की फिल्मों की बात करें, तो ‘छेल्लो शो’ इस भाषा की दूसरी फिल्म है. इससे पहले 2013 में ‘द गुड रोड’ को ऑस्कर के लिए भारत ने भेजा था. गुजरात पर आधारित दूसरी फिल्म की बात करें तो ‘मंथन’ का जिक्र आता है. गुजरात के किसानों की समस्या पर बनी श्याम बेनेगल की इस फिल्म को साल 1977 में ऑस्कर के लिए भेजा गया था.

ऑस्कर का नाम आते ही विवाद

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FIRST PUBLISHED : September 28, 2022, 16:55 IST

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