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abhishek bachchan had dyslexia in childhood know symptoms of this learning disorder samp | गर्दिश में सितारे: 9 साल की उम्र में अभिषेक बच्चन को निकली थी ऐसी बीमारी कि जाना पड़ा था विदेश, जानें बीमारी के लक्षण


Abhishek bachchan’s disease: अभिषेक बच्चन उन स्टार किड में शुमार हैं, जो अपने स्टार पेरेंट्स की छवि से निकलकर अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हुए हैं. अभिषेक ने अपने फिल्मी करियर में काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं और ऐसा ही एक समय उन्होंने अपने बचपन में भी देखा था. जब केवल 9 साल की उम्र में उनमें ऐसी बीमारी की पुष्टि हुई थी, जिसके कारण बोलना, पढ़ना, लिखना मुश्किल हो जाता है. इसके बाद उन्हें यूरोपियन स्कूल भेज दिया गया था, ताकि उन्हें एक आरामदायक माहौल में मिल पाए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बात की जानकारी खुद अभिषेक ने एक इंटरव्यू में दी थी. आमिर खान की फिल्म ‘तारे जमीं पर’ के एक हिस्से में भी अभिषेक बच्चन की इस बीमारी का जिक्र किया गया है.

आइए, अभिषेक बच्चन को हुई इस बीमारी के बारे में जानते है.

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बचपन में किस बीमारी से पीड़ित थे एक्टर अभिषेक बच्चन?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभिषेक बच्चन को बचपन में डिस्लेक्सिया (Dyslexia) की बीमारी थी. NHS के मुताबिक, यह एक आम समस्या है, जिसके अंदर बच्चे को पढ़ने, लिखने और बोलने में मुश्किलें आती हैं. इस लर्निंग डिसऑर्डर के कारण बच्चे अक्षरों को पहचानने और बोलने में समस्या का सामना करते हैं. हालांकि, इस बीमारी से ग्रसित बच्चे दूसरे बच्चों के मुकाबले इंटेलिजेंस में किसी भी तरह से कम नहीं होते हैं. आमतौर पर, यह बीमारी बचपन में ही पकड़ ली जाती है, लेकिन कई बार बड़े होकर भी इसका पता लग पाता है.

डिस्लेक्सिया के लक्षण (Dyslexia Symptoms)

NSH के मुताबिक, डिस्लेक्सिया के लक्षण आमतौर पर बच्चे के स्कूल जाने पर दिखने लगते हैं. जैसे-

  • बहुत धीमी गति से पढ़ना और लिखना
  • अक्षरों के क्रम को लेकर असमंजस
  • बोलने में आत्म-विश्वास की कमी
  • b को d लिखने जैसी गलती करना
  • वर्तनी (spelling) का गलत होना
  • लिखी हुई बात को समझने में परेशानी, हालांकि कोई बात मौखिक हो, तो तुरंत समझ लेना
  • योजना और संगठन बनाने में समस्या होना
  • पढ़ने, लिखने या बोलने की जगह पेंटिंग, कुकिंग जैसी क्रिएटिव स्किल होना, आदि

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डिस्लेक्सिया के कारण

वेबएमडी के मुताबिक, डिस्लेक्सिया की बीमारी आनुवांशिक रूप से जुड़ी होती है. इसलिए यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है. हालांकि, डिस्लेक्सिया से पीड़ित मरीजों के इमेजिंग स्कैन में दिमाग का वो हिस्सा असक्रिय मिलता है, जो कि पढ़ने के लिए जिम्मेदार होता है. हालांकि, डिस्लेक्सिया के लक्षण और गंभीरता हर किसी मरीज में अलग-अलग हो सकती है.

डिस्लेक्सिया का इलाज

NHS के मुताबिक, यह एक लाइफ लॉन्ग समस्या है, जिसे पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल है. लेकिन पेरेंट्स और आसपास मौजूद लोगों की मदद से इस से काफी हद तक उबरा जा सकता है. इसके अलावा, इन टिप्स की मदद से डिस्लेक्सिया मैनेजमेंट किया जा सकता है. जैसे-

  • वीडियो या बोलकर पढ़ाई करने की सुविधा दिलवाएं.
  • अपनी परेशानी बताने के लिए बच्चे को प्रेरित करें.
  • उन्हें शब्दों के अक्षरों के बारे में धीरे-धीरे ज्ञान दिलवाते रहें.
  • उनकी क्रिएटिव स्किल को बढ़ाएं, इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा.
  • स्कूल को पीड़ित के बारे में जानकारी देकर सहयोग मांगें.

यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.





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Mr.Mario
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