Covid vaccine effective in cancer patient: वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कैंसर से पीड़ित मरीजों पर कोविशील्ड, मॉडर्ना और फाइजर की कोरोना वैक्सीन प्रभावी तरीके से काम करती है और इससे कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है. मिंट की खबर के मुताबिक वैज्ञानिकों ने अपनी इस रिसर्च को यूरोपियन सोसाइटी ऑफ मेडिकल ऑन्कोलॉजी (European Society for Medical Oncology) के सम्मेलन में प्रस्तुत किया है. शोधकर्ताओं ने बताया कि कैंसर से पीड़ित लोगों में बिना किसी साइड इफेक्ट के, वैक्सीन के उपयुक्त, सुरक्षात्मक इम्यून रिस्पॉन्स अधिक देखे गए हैं. पेश किए गए साक्ष्य से यह भी पता चलता है कि वैक्सीन की तीसरी बूस्टर डोज कैंसर रोगियों के बीच सुरक्षा के स्तर को और अधिक बढ़ा देती है. शोधकर्ताओं ने पिछले कई अध्यनों और जर्नल्स में प्रकाशित रिपोर्ट को भी पेश किया जिसमें कैंसर मरीजों पर कोविड 19 का प्रभावी असर देखा गया है.
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ट्रायल में कैंसर मरीज शामिल नहीं थे
कैंसर के मरीजों पर कोविड 19 वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल नहीं किया गया था. इससे सभी के मन में यह डर था कि इनके लिए वैक्सीन सुरक्षित हैं या नहीं. कैंसर मरीजों में कीमोथेरेपी और कई तरह की एंटी कैंसर दवाइयों को दिए जाने के कारण उनमें इम्यून सिस्टम पहले से ही बहुत बिगड़ जाता है, इसलिए इस बात को लेकर संशय था कि कोरोना वैक्सीन क्या इन मरीजों में कोविड-19 के गंभीर रूपों के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेगी. इस सवाल को अब तक नहीं सुलझाया गया था. पहले के अध्यन में कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण से मिलने वाली सुरक्षा पर कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी के संभावित प्रभाव का पता लगाया गया. ताजा अध्यन में यह साबित हुआ कि कैंसर मरीजों में वैक्सीन कोविड के खिलाफ प्रभावी इम्यून विकसित करती है.
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कैंसर मरीजों में एंटीबॉडी का पर्याप्त स्तर पाया गया
शोधकर्ताओं ने मॉडर्ना की दो-खुराक टीके के प्रति उनमें प्रतिक्रियाओं को मापने के लिए चार अलग-अलग अध्यन समूहों में नीदरलैंड के कई अस्पतालों के 791 मरीजों को इस अध्यन में शामिल किया. इसमें कैंसर रहित व्यक्ति, इम्यूनोथेरेपी के साथ इलाज किए गए कैंसर रोगी, कीमोथैरेपी के साथ इलाज किए गए रोगी और केमो-इम्यूनोथेरेपी संयोजन के साथ इलाज किए गए रोगी शामिल थे. दूसरी डोज देने के 28 दिनों के बाद कीमोथेरेपी प्राप्त करने वाले 84 प्रतिशत मरीजों में कोरोना के खिलाफ पर्याप्त एंटीबॉडी को विकसित होते हुए पाया गया. इसके अलावा कीमो-इम्यूनोथेरेपी प्राप्त करने वाले 89 प्रतिशत मरीजों में और इम्यूनोथेरेपी करवाने वाले 93 प्रतिशत मरीजों में एंटीबॉडी के पर्याप्त स्तर पाए गए.
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