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हर महीने जारी करनी है रिपोर्ट
बता दें कि नए आईटी नियमों के तहत 50 लाख से ज्यादा यूजर्स वाले बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म को हर महीने कम्पलाइंस रिपोर्ट प्रकाशित करना जरूरी है. इस रिपोर्ट में इन प्लेटफॉर्म के लिए उन्हें मिलने वाली शिकायतों और उन पर की जाने वाली कार्रवाई का उल्लेख करना जरूरी है.
व्हाट्सऐप ने कहा, ”हमारा मुख्य ध्यान खातों को बड़े पैमाने पर हानिकारक या अवांछित संदेश भेजने से रोकना है. हम ऊंची या असामान्य दर से मैसेज भेजने वाले इन अकाउंट्स की पहचान करने के लिए उन्नत क्षमताओं को बनाए हुए हैं और अकेले भारत में 15 मई से 15 जून तक इस तरह के दुरुपयोग की कोशिश करने वाले 20 लाख अकाउंट्स पर बैन लगा दिया है.”
कंपनी ने स्पष्ट किया कि 95 फीसदी से ज्यादा ऐसे प्रतिबंध स्वचालित या बल्क मैसेजिंग (स्पैम) के अनधिकृत उपयोग के कारण लगाए गए हैं. फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी ने बताया कि रोक लगाए जाने वाले खातों की संख्या 2019 के बाद से बढ़ी है क्योंकि उसकी प्रणाली ज्यादा उन्नत हो गई और इस तरह के ज्यादा खातों का पता लगाने में मदद मिलती है.
गूगल, कू, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम ने भी सौंपी है कम्प्लायंस रिपोर्ट
व्हाट्सऐप दुनिया भर में हर महीने औसतन करीब 80 लाख खातों पर रोक लगा रही है या उन्हें निष्क्रिय कर रही है. गूगल, कू, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने भी अपनी कम्प्लायंस रिपोर्ट सौंपी है.
नियम नहीं मानने पर खोना पड़ेगा मध्यस्थ इकाई का दर्जा
नियमों का पालन नहीं करने पर सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी मध्यस्थ इकाई का दर्जा खोना पड़ सकता है. दूसरे शब्दों में कम्प्लायंस के मामले में उन पर आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है. नए नियमों के मुताबिक, अधिकारियों की ओर से अगर किसी सामग्री को लेकर आपत्ति जताई जाती है और उसे हटाने के लिए कहा जाता है तो उन्हें 36 घंटे के भीतर कदम उठाना होगा.
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