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World Food Day 2021 Climate change poses a double challenge for malnourished children nav

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World Food Day 2021 Climate change poses a double challenge for malnourished children nav

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World Food Day 2021 : दुनियाभर में 16 (October) अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस यानी वर्ल्ड फूड डे (World Food Day) मनाया जाता है. यूएन फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन यानी कृषि और खाद्य संगठन (FAO) के मुताबिक वर्ल्ड फूड डे 2021 की थीम “हमारे कार्य हमारा भविष्य हैं- बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर वातावरण और बेहतर जीवन” है. खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के सदस्यों द्वारा इस दिन का आयोजन शुरू किया गया था. संगठन के सदस्य देशों के 20वें महासम्मेलन में इस दिवस के बारे में प्रस्ताव रखा गया था और जिसके बाद से सन 1981 से इसे हर साल मनाया जा रहा है.

विश्व खाद्य दिवस के मनाने का उद्देश्य भुखमरी और भूख से पीड़ित लोगों को जागरूक करना है. हिंदुस्तान अखबार में छपी न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, पोषण की कमी से जूझ रहे आधे से ज्यादा बच्चे जलवायु परिवर्तन के खतरों से सर्वाधिक प्रभावित देशों में पल बढ़ रहे हैं. ऐसे में शारीरिक और मानसिक विकास (physical and mental development) के मोर्चे पर उन्हें दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. विश्व खाद्य दिवस की पूर्व संध्या पर सेव द चिल्ड्रन (save the children) की ओर से जारी एक विश्लेषण रिपोर्ट में ये आशंका जताई गई है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक गरीब देश जलवायु परिवर्तन के सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव झेल रहे हैं. इनमें से ज्यादातर के सामने बच्चों के विकास में खलल डालने वाली अन्य चुनौतियां पहले से ही मौजूद हैं. जैसे राजनीतिक-आर्थिक अस्थिरता, गृहयुद्ध और कोविड-19 सहित अन्य बीमारियों का प्रकोप. ऐसे में प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, लू सहित से बच्चों का विकास और प्रभावित होना लाजमी है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पोषण की कमी की वजह से 20 प्रतिशत बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास बाधित हुआ है.

इस रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में पैदा हुआ बच्चों पर ज्यादा जलवायु परिवर्तन का ज्यादा संकट है. इस साल जन्में बच्चों को 7 गुना अधिक लू का संकट झेलना पड़ेगा. इसके साथ ही बाढ़ सूखे और फसलों को नुकसान के मामले भी 3 गुना अधिक आएंगे.

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एक नजर जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित देशों पर डालें, तो पाते हैं कि ठिगनेपन का शिकार बच्चों की संख्या किस तरह से इन देशों में बढ़ रही है. अफ्रीकी देश बरुंडी में 54, नाइजर में 47, यमन में 46, पापुआ न्यू गिनी में 43, मोजाम्बिक में 42 और मेडागास्कर में 42 में कुपोषण (Malnutrition) के साथ साथ जलवायु परिवर्तन के कारण ठिगनेपन का पता चला है.

बच्चों के लिए संकट कम नहीं
बरुंडी (Burundi) में तंगानायिका झील (Lake Tanganyika) का वाटर लेवल बढ़ने से लाख से ज्यादा लोगों ने पलायन किया. जिसमें बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे शामिल थे जिन्हें एक वक्त रोटी ही नसीब हुई. वहीं तालिबान के कब्जे के बाद भुखमरी से सर्वाधिक प्रभावित दूसरे देश अफगानिस्तान (Afghanistan) में पांच साल से कम उम्र के आधे बच्चों के कुपोषण (Malnutrition) का का सामना करने का खतरा बना हुआ है.

मिट्टी खाकर पेट भरने की नौबत
सेव द चिल्ड्रन में गरीबी और जयवायु मामलों के ग्लोबल डायरेक्टर योलांदे राइट ने कहा, बरुंडी से लेकर अफगानिस्तान और मोजाम्बिक से लेकर यमन तक करोड़ो बच्चे अल्पपोषण (Undernutrition) के चलते विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. कई देशों में भूख की स्थिति इतनी विकराल है कि लोग मिट्टी खाकर पेट भर रहे हैं.

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यूएन पैनल ने किया था आगह  
यूएन की बॉडी आईपीसीसी यानी इंटर गर्वमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (Intergovernmental Panel on Climate Change) ने जून 2021 में जारी 4000 पन्नों की रिपोर्ट में क्लाइमेट चेंज के असर का व्यापक खाका पेश किया था. जिसमें ये भविष्यवाणी की गई थी कि 2050 तक आज की तुलना में 80 मिलियन यानी 8 करोड़ से अधिक लोगों पर भूख का खतरा होगा. और जल चक्र में बाधा से पूरे उप-सहारा अफ्रीका में वर्षा आधारित मुख्य फसलों में गिरावट आएगी. इस रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में भुखमरी के प्रति संवेदनशील आबादी का 80 प्रतिशत केवल अफ्रीकी और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में है.

भारत की स्थिति
2017 से 2019 के बीच 31.6 प्रतिशत लोग भारतीय खाद्य सुरक्षा के सामने मध्यम या गंभीर स्तर का खतरा झेल रहे थे. वहीं 2014 से 2016 के बीच खाद्य असुरक्षित भारतीयों की संख्या 42.65 प्रतिशत थी. और साल 2017 से 2019 के बीच ये बढ़कर 48.86 प्रतिशत हो गई. वहीं कुपोषण के चलते 4 साल से कम उम्र के आधे से ज्यादा बच्चों का वजन और कद-काठी सामान्य से कम पाया गया.

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