World Spine Day 2021: हर साल 16 अक्टूबर को वर्ल्ड स्पाइन डे (World Spine Day) मनाया जाता है. इसका उद्देश्य रीढ़ की हड्डी से जुड़े रोगों के प्रति जागरूकता फैलाना है क्योंकि रीढ़ की हड्डी संबंधी विकार विकलांगता के प्रमुख कारणों में से हैं. दैनिक भास्कर अखबार में छपे लेख में मुंबई के लीलावती अस्पताल के एमएस ऑर्थो, स्पाइन सर्जन (MS Ortho, Consultant Spine Surgeon) डॉ विनोद अग्रवाल (Dr Vinod Agarwal) ने बताया है कि कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) का कल्चर बढ़ा है और इससे स्पाइन को खासा नुकसान पहुंच रहा है. पबमैड सेंटर (PubMed Centra) यानी पीएमसी लैब द्वारा हाल ही में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, वर्क फ्रॉम होम करने वाले 41.2 फीसदी लोगों ने पीठ दर्द और 23.5 फीसदी लोगों ने गर्दन में दर्द की शिकायत की.
डॉ अग्रवाल का कहना है, ‘सिटिंग के हर घंटे बाद यदि 6 मिनट की वॉक की जाए, तो रीढ़ को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है. इसके अलावा रोजना चाइल्ड पोज, कैट और काऊ पोज जैसे योगासन करें. ये बच्चों के साथ, बच्चों की तरह खेलने जैसे ही आसन हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह जरूर लें.’
रीढ़ में दर्द के 3 प्रमुख कारण
लंबी समय तक बैठना
स्पाइन यूनिवर्स (Spine Universe) के अनुसार, लंबे समय तक बैठने से ग्लूटस मैक्सिमस (Gluteus Maximus) में ब्लड फ्लो प्रभावित होता है. ग्लूटस स्पाइन को सपोर्ट करने वाली मेन मसल्स है.
खराब पॉश्चर
बैठे-बैठे झुकने और मुड़ने से रीढ़ में लिगामेंट (ligament) और डिस्क (Disc) पर तनाव बढ़ता है. इसके कारण कंधों, गर्दन और पीठ में दर्द होने लगता है. इसे पुअर पॉश्चर सिंड्रोम (Poor Posture Syndrome) कहते हैं.
मोबाइल एडिक्शन
जब आप लंबे समय तक मोबाइल स्क्रीन पर काम करते हैं और देखने के लिए सिर को बार-बार झुकाते हैं, तो रीढ़ पर खिंचाव पड़ता है, जो स्पाइन की डिस्क को संकुचित यानी श्रिंक (Shrink) करता है.
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पबमेड जीओवी के अनुसार, स्पाइन यानी रीढ़ की मजबूती के लिए पेट और पीठ की मसल्स की मजबूती बहुत जरूरी है. ये मसल्स ही स्पाइन को संतुलित और ताकतवर बनाती हैं. ये जितनी स्ट्रॉन्ग होगी, स्पाइन पर पड़ने वाले वजन का दबाव उतना ही कम होगा.
रीढ़ को मजबूत बनाने के लिए 3 उपाय
वॉक करें
डॉ अग्रवाल के अनुसार, टीवी देखने के दौरान बीच-बीच में एक मील प्रति घंटे की रफ्तार से वॉक करें. मसल्स की जकड़न घटती है और फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है.
चाइल्ड पोज योग
पंजों पर बैठ जाएं और हथेलियों को फर्श से सटा लें. सांस लेते हुए एक से दो मिनट तक इसी पोजिशन में रहें. इसके बाद सांस लेते हुए पहले वाली अवस्था में आ जाएं. इसी तरह काऊ और कैट पोज भी उपयोगी है. इससे बॉडी और रीढ़ में ब्लड फ्लो अच्छा होता है, जांघ, कूल्हे और टखने मजबूत होते हैं. रीढ़ की मसल्स भी स्ट्रॉन्ग होती है.
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ब्रिज एक्सरसाइज
जमीन पर लेट जाएं, पंजों पर जोर लगाते हुए अपने कूल्हों (हिप्स) को उठाकर एक सीध में कर लें. 10 से 15 सेकंड तक रुकें. इसके 15 मिनट के तीन सेट करें. हर एक सेट के बीच में एक मिनट का गैप रखें. इससे हिप्स की मसल्स स्ट्रॉन्ग होती है. ये लोअर बैक को सपोर्ट करती है और रीढ़ भी मजबूत होती है.
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