Home स्वास्थ्य Yoga Session: प्राणायाम से तन-मन होगा स्वस्थ, सीखें सटीक तरीका

Yoga Session: प्राणायाम से तन-मन होगा स्वस्थ, सीखें सटीक तरीका

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International Yoga Day 2021 – 21 जून को हर साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा. योग के कई अंग है जिनमें प्राणायाम भी एक है. प्राणायाम यानी कि प्राणों का आयाम. ये सांस लेने की कला है. सांस लेना और सही से छोड़ना स्वस्थ जीवन के लिए बहुत जरूरी है. प्राणायाम करते समय बॉडी पोस्चर का ठीक रहना बेहद जरूरी है. कोरोना काल (Corona Era) में इम्‍यून सिस्‍टम (Immune System) को मजबूत बनाए रखना बहुत जरूरी है. ताकि किसी भी तरह के इंफेक्‍शन (Infection) से बचा जा सके. इसके लिए बहुत जरूरी है कि योगासन (Yoga Posture) को अपने रूटीन में शामिल किया जाए. वहीं शरीर को लचीला बनाए रखने के लिए भी योगासन अहम भूमिका निभाते हैं. ऐसे में आपको कुछ खास योगासनों (Yoga) का अभ्यास करना चाहिए. योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है. वहीं आसनों को करने के बाद शरीर को आराम देने के लिए प्राणायाम जरूर करें. इससे शरीर की थकान दूर होती है. शरीर को संतुलित बनाए रखने के लिए प्राणायाम बहुत अच्‍छा आसन है.

तितली आसन:

बटरफ्लाई आसन बहुत ही एफेक्‍टेड है. इसे तितली आसन भी कहते हैं. महिलाओं के लिए ये आसन विशेष रूप से लाभकारी है. बटरफ्लाई आसन करने के लिए पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएं,रीढ़ की हड्डी सीधी रखें. घुटनो को मोड़ें और दोनों पैरों को श्रोणि की ओर लाएं. दोनों हाथों से अपने दोनों पांव को कस कर पकड़ लें. सहारे के लिए अपने हाथों को पांव के नीचे रख सकते हैं. एड़ी को जननांगों के जितना करीब हो सके लाने का प्रयास करें. लंबी,गहरी सांस लें, सांस छोड़ते हुए घटनों एवं जांघो को जमीन की तरफ दबाव डालें. तितली के पंखों की तरह दोनों पैरों को ऊपर नीचे हिलाना शुरू करें. धीरे धीरे तेज करें. सांस लें और सांस छोड़ें. शुरुआत में इसे जितना हो सके उतना ही करें. धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं.

बटरफ्लाई आसन के फायदे

जांघो, एवं घुटनो का अच्छा खिंचाव होने से कूल्हों में लचीलापन बढ़ता है. मासिक धर्म के दौरान होने वाली असुविधा एवं मोनोपॉज के लक्षणों से आराम. गर्भावस्था के दौरान लगातार करने से प्रसव में आसानी.

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भस्त्रिका:

भस्त्रिका का अभ्‍यास कोरोना के समय में अपने लंग्‍स की कैपिसिटी को बढ़ाने के लिए करें. यह मुख्य रूप से डीप ब्रीदिंग है. इससे आपका रेस्पिरेटरी सिस्टम मजबूत होगा. भस्त्रिका प्राणायाम बहुत ही महत्वपूर्ण प्राणायाम है. इससे तेजी से रक्त की शुद्धि होती है. साथ ही शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त का संचार तेज होता है. गर्मियों के मौसम में भस्त्रिका का अभ्यास ज्यादा देर तक ना करें. इसके बाद शीतकारक का अभ्यास करें.

अनुलोम विलोम प्राणायाम:

सबसे पहले पालथी मार कर सुखासन में बैठें. इसके बाद दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बाई नासिका से सांस अंदर लें लीजिए. अब अनामिका उंगली से बाई नासिका को बंद कर दें. इसके बाद दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें. अब दाहिने नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बाई नासिका से सांस बाहर छोड़ दें.

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे

अनुलोम विलोम प्राणायाम से फेफड़े मजबूत होते हैं, बदलते मौसम में शरीर जल्दी बीमार नहीं होता, वजन कम करने में मददगार, पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाता है, तनाव या डिप्रेशन को दूर करने के लिए मददगार और गठिया के लिए भी फायदेमंद है.

भ्रामरी प्राणायाम :

भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए जमीन पर बैठ जाएं. इसके बाद दोनों हाथों की कोहनियों को मोड़कर कानों तक ले जाएं और अंगूठे के सहारे से कानों को बंद कर लें. कानों को बंद करने के बाद हाथों की तर्जनी उंगली और मध्यमा, कनिष्का उंगली को आंखों के ऊपर ऐसे रखें जिससे पूरा चेहरा कवर हो जाए. इसके बाद मुंह को बंद करके नाक से हल्की-हल्की सांस को अंदर और बाहर छोड़े. 15 सेकेंड तक ये आसान करने के बाद वापस से नॉर्मल स्थिति में आ जाएं. इस प्राणयाम को 10 से 20 बार दोहराएं. आप चाहे तो शुरुआत में इसे 5 से 10 भी कर सकती हैं. अगर आपको अनिद्रा की शिकायत है तो भ्रामरी प्राणायाम आपके लिए फायदेमंद है.

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