Home खाना आहार के अलावा मदिरा में भी जौ का होता रहा है उपयोग, सेहत के लिए फायदेमंद इस अनाज का है रोचक इतिहास

आहार के अलावा मदिरा में भी जौ का होता रहा है उपयोग, सेहत के लिए फायदेमंद इस अनाज का है रोचक इतिहास

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आहार के अलावा मदिरा में भी जौ का होता रहा है उपयोग, सेहत के लिए फायदेमंद इस अनाज का है रोचक इतिहास

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हाइलाइट्स

जौ में पाए जाने विटामिन नर्वस सिस्टम को सामान्य रखते हैं.
जौ का सेवन ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है.
प्राचीन काल से जौ का उपयोग मदिरा बनाने में होता रहा है.

जौ एक विशेष प्रकार का अन्न है. इसका धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व तो है ही, साथ ही यह शरीर के लिए भी गुणकारी है. जौ का आटा शरीर का पाचन सिस्टम दुरुस्त रखता है, तो दिल को मजबूती भी प्रदान करता है. यह हानिकारक केलोस्ट्रोल को भी रोकता है, तो वजन भी माकूल रखता है. बेहद प्राचीन इतिहास है इस अन्न का.

ब्रह्मा के समान माना गया है जौ

सभ्यता के दौर में जब मनुष्य ने खेती शुरू की तो माना जाता है कि जौ उनमें से एक था. इसीलिए विभिन्न रूपों में भी जौ का उपयोग होता रहा है. भारत की बात करें तो प्राचीन काल में लिखे गए निघंटुओं और संहिताओं (आयुर्वेद से जुड़े ग्रंथ) में जौ का वर्णन है. इसके अतिरिक्त अथर्ववेद में भी जो को ‘यव’ कहकर संबोधित किया गया है. पौराणिक कथाओं और धर्मग्रंथों में कहा गया है कि जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तब वनस्पतियों में जो फसल सबसे पहले विकसित हुई थी, वह जौ थी. यही वजह है कि नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के साथ पूरे विधि-विधान से जौ बोई जाती है. इसके अलावा किसी बड़े अनुष्ठान में जब देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है या हवन किया जाता है तो जौ ही अर्पित किए जाते हैं. उसका कारण यह है कि जौ को ब्रह्मा के समान माना गया है.

हजारों वर्ष पुराना है इस अन्न का इतिहास

वनस्पति विज्ञानियों ने शोध में जौ के तीन उत्पत्ति स्थल घोषित किए है, इनमें एक फर्टाइल क्रिसेंट (इजराइल, सीरिया, जोर्डन, तुर्कमेनिस्तान आदि), मिडिल ईस्ट सेंटर (एशिया का अंतवर्ती इलाका) और चीन व दक्षिण पूर्वी एशिया. विश्वकोष ब्रिटेनिका (Britannica) के अनुसार जौ का इतिहास 8000 साल पुराना है. पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार मिस्र में करीब 5000 ईसा पूर्व, मेसोपोटामिया में 2350 ईसा पूर्व, उत्तर पश्चिम यूरोप में 3000 ईसा पूर्व और चीन में 1500 ईसा पूर्व जौ की खेती होनी लगी थी. वैसे इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि सिंधु घाटी की सभ्यता (3300 ईसा पूर्व से 2500 ईसा पूर्व) में गेहूं, मटर, जौ, सरसों, कपास, बाजरा आदि की खेती खेती की जा रही थी.

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नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के साथ पूरे विधि-विधान से जौ बोई जाती है.

आसव के रूप में प्रयोग होता रहा है

विशेष बात यह है कि सैकड़ों वर्षों से आहार के अलावा जौ का उपयोग मदिरा के लिए भी किया जा रहा था. लेकिन प्राचीन काल में इस मदिरा (आसव) का प्रयोग शरीर को रोगों से दूर रखने के लिए किया जाता था. प्रमाण कहते हैं कि जौ से मदिरा (Wine) बनाने का पहला ज्ञात नुस्खा प्राचीन मेसोपोटामिया के नगर बेबीलोनिया में 2800 ईसा पूर्व का है. उस काल में जौ के पानी का उपयोग विभिन्न औषधीय प्रयोजनों के लिए भी किया जाता था. भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ (सातवीं-आठवीं ईसा पूर्व) ‘चरकसंहिता’ में जौ के आहार व आसव के रूप में गुण-अवगुणों का वर्णन किया गया है.

आहार के रूप में जौ को रूखा, शीतल, भारी, मधुर्, बलकारक व कफ रोगों को जीतने वाला कहा गया है. जबकि जौ के आसव को रखा व गरम के आलवा वात व पित्त को बढ़ाने वाला कहा गया है. जौ का सालों से रोटी, ब्रेड व सत्तू के लिए प्रयोग तो किया ही जा रहा है.

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फाइबर और कैलोरी इसे विशेष आहार बनाते हैं

जौ में पाए जाने वाले पोषक तत्व निश्चित करते हैं कि यह पाचन सिस्टम व दिल के लिए गुणकारी है. यूएसडीए (United States Department of Agriculture) के अनुसार 100 ग्राम जौ में कैलोरी 352, प्रोटीन 9.91 ग्राम, फेट 1.16 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 77.7 ग्राम, फाइबर 15.6 ग्राम, कैल्शियम 29 मिलीग्राम, आयरन 2.5 मिलीग्राम, मैग्नीशियम 79 मिलीग्राम, फास्फोरस 221 मिलीग्राम के अलावा पोटेशियम, विटामिन ए, विटामिन बी6 भी पाया जाता है. फूड एक्सपर्ट व न्यूट्रिशियन कंसलटेंट नीलांजना सिंह के अनुसार जौ में फाइबर की उच्च मात्रा पाचन सिस्टम को तो मजबूत बनाती ही है, साथ ही आंतों की बीमारियों से भी दूर रखती है.

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जौ का दलिया और सत्तू शरीर को जबर्दस्त ऊर्जा देते हैं.

चूंकि इसमें कैलोरी भी खूब है, इसलिए फाइबर के साथ मिलकर यह पेट को भरा-भरा महसूस करते हैं, जिससे खाने की अधिक इच्छा नहीं होती. ऐसा होने से मोटापा नहीं बढ़ता है. इसका एक अन्य लाभ यह भी है बीपी कंट्रोल में रहता है और दिल के रोगों का जोखिम भी कम हो जाता है.

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शुगर वालों को बचकर रहना होगा

जौ में पाए जाने विटामिन नर्वस सिस्टम और प्रतिरक्षा प्रणाली को सामान्य रखने में मदद करते हैं. इसमें पाए जाना वाला फास्फोरस हड्डियों व दांतों को भी मजबूत रखता है. ऐसा भी माना गया है कि स्ट्रोक से बचाने में मददगार है यह अन्न. जौ का दलिया और सत्तू शरीर को जबर्दस्त ऊर्जा देते हैं. इनका सेवन करते रहना चाहिए. जो में विशेषता है कि यह ब्लड शुगर को कम करता है, इसलिए जो लोग इंसुलिन इंजेक्शन या शुगर का इलाज कर रहे हैं, उन्हें जौ के सेवन से बचना चाहिए. जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें जौ से दूर रहना होगा. जौ को नियमित मात्रा में भोजन में शामिल कर लिया जाए तो शरीर में जान फूंक देगा. बस अधिक सेवन नहीं करना है, वरना पाचन सिस्टम खराब कर देगा और आंतों को भी नुकसान हो सकता है.

Tags: Food, Lifestyle

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