[ad_1]
कहा जाता है कि साहित्य समाज का आइना होता है. समय पड़ने पर साहित्यकार आगे आकर समाज को जागरुक करने और हर स्तर पर मदद करने में अहम भूमिका निभाते हैं. लेकिन कोरोना महामारी ने जब पूरी दुनिया को घर की चारदीवारी में कैद करके रख दिया, तमाम काम-धंधे चौपट हो गए. ऐसे में भी साहित्य की गतिविधियां बंद नहीं हुईं. हालांकि, उसका रूप बदला हुआ था. जब बाहर तूफान मचा हो तो कोई कविता, कहानी या फिर कोई किस्सा दिल को सुकून देता है और कुछ समय के लिए हम बाहर की दुनिया से कट जाते हैं. महामारी के समय जब कोरोना महामारी के रूप में मौत का खुला ताडंव हो रहा हो, वहां अपने प्रिय लेखक की रचना हमें भय से दूर ले जाने का काम करती है. कोरोना काल में भी साहित्यिक गतिविधियों को बदस्तूर जारी रखा कलिंगा लिटरेचर फेस्टिवल ने. कलिंगा लिट फेस्ट ने पिछले साल 17 मई को वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘कलिंगा लिटरेचर फेस्टिवल भाव संवाद’ (KLF Bhava Samvad) की शुरूआत की थी. यह एक ऐसी अनूठी पहल थी कि चंद साहित्यकारों से शुरू हुआ यह संवाद लगातार बढ़ता ही चला गया और देशभर के लेखक इससे जुड़ते चले गए. आलम यह रहा कि महज एक साल के कोरोना काल के सफर में ‘केएलएफ भाव संवाद’ के 200 से भी ज्यादा ऑनलाइन कार्यक्रम हुए और इनमें तकरीबन हर भारतीय भाषा के देश के जाने-माने 500 से भी ज्यादा कवि, कहानीकार, नाटककार, पत्रकार और साहित्य प्रेमियों ने शिरकत की.
‘कलिंगा लिटरेचर फेस्टिवल’ के संस्थापक रश्मि रंजन परिदा (Rashmi Ranjan Parida) बताते हैं कि एक साल में 200 से अधिक ऑनलाइन कार्यक्रम होना, लोगों का साहित्य के प्रति प्यार को दर्शाता है. उन्होंने बताया कि ‘केएलएफ भाव संवाद’ के सफल आयोजन में साहित्यकार और साहित्य प्रेमियों के साथ प्रकाशकों का भी बड़ा योगदान है. इन कार्यक्रमों में पेंग्विन रेंडम हाउस (Penguin Random House), वेस्टलैंड पब्लिकेशंस (Westland Publications), हार्पर कोलिंस (Harper Collins India), रोली बुक्स (ROLI Books), राजपाल एंड संस (Rajpal & Sons), वाणी प्रकाशन (Vani Prakashan), रूपा एंड कंपनी (Rupa & Co), नियोगी बुक्स (Niyogi Books) समेत कई प्रकाशकों ने अहम भूमिका निभाई है. ‘केएलएफ भाव संवाद’ में देश के दिग्गज साहित्यकार, संगीतज्ञ, कारोबारी, सांस्कृतिक और विभिन्न सामाजिक गतिविधियों से जुड़े लोग जैसे- अमिताभ घोष, बिबेक देबराय, गोपाल कृष्ण गांधी, डॉक्टर प्रतिभा रॉय, ममता कालिया, लॉर्ड मेघनाद देसाई, एसवाई कुरैशी, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, गीताश्री, प्रभात रंजन, दुर्जोय दत्ता, संदीप बामजई, स्वामी मुकुन्दानंद, सारा जोसफ, गज़ाला वहाब, संदीप अग्रवाल, अमिश त्रिपाठी, देवदत्त पटनायक, राम माधव, हलधर नाग, पंडित कुंज बिहारी, अतुल कुमार ठाकुर, केशव गुहा, रशीद किदवई, टीटी राममोहन आदि ने शिरकत की.
रश्मि रंजन परिदा बताते हैं कि केएलएफ भाव संवाद महामारी के कारण लॉकडाउन के दौरान साहित्यिक भावना को बरकरार रखने के लिए शुरू किया गया था. मंच का तेजी से विकास और दर्शकों से अपार प्यार प्राप्त करने के बाद, केएलएफ भाव संवाद एक उल्लेखनीय मुकाम पर पहुंच गया है, जिसमें दुनिया भर के दिग्गज साहित्यकार, कलाकार शामिल हैं. उन्होंने बताया कि वे इस पहल को स्थायी तौर पर जारी रखेंगे. ‘कलिंगा लिटरेचर फेस्टिवल’ के सलाहकार और क्यूरेटर आशुतोष कुमार ठाकुर कहते हैं, ‘दिल बोलता है और दिमाग सुनता है, आंखें कहानियां सुनाती हैं और खामोशी हमारी चेतना को जगाती है. जैसा कि हम जानते हैं कि साहित्य हमेशा समाज को दर्शाता है और कभी-कभी मार्गदर्शन भी करता है. हम केएलएफ में कवियों, दार्शनिकों और लेखकों से जुड़ रहे हैं, यह जानने के लिए कि साहित्य ने इस महामारी पर से लड़ने में क्या भूमिका निभाई है और यह इसमें कितना सफल रहा है.’
![KLF Bhava Samvad](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2021/05/KLF-Bhava-Samvad.jpg)
रश्मि रंजन परिदा बताते हैं कि केएलएफ भाव संवाद महामारी के कारण लॉकडाउन के दौरान साहित्यिक भावना को बरकरार रखने के लिए शुरू किया गया था. मंच का तेजी से विकास और दर्शकों से अपार प्यार प्राप्त करने के बाद, केएलएफ भाव संवाद एक उल्लेखनीय मुकाम पर पहुंच गया है, जिसमें दुनिया भर के दिग्गज साहित्यकार, कलाकार शामिल हैं. उन्होंने बताया कि वे इस पहल को स्थायी तौर पर जारी रखेंगे. ‘कलिंगा लिटरेचर फेस्टिवल’ के सलाहकार और क्यूरेटर आशुतोष कुमार ठाकुर कहते हैं, ‘दिल बोलता है और दिमाग सुनता है, आंखें कहानियां सुनाती हैं और खामोशी हमारी चेतना को जगाती है. जैसा कि हम जानते हैं कि साहित्य हमेशा समाज को दर्शाता है और कभी-कभी मार्गदर्शन भी करता है. हम केएलएफ में कवियों, दार्शनिकों और लेखकों से जुड़ रहे हैं, यह जानने के लिए कि साहित्य ने इस महामारी पर से लड़ने में क्या भूमिका निभाई है और यह इसमें कितना सफल रहा है.’
[ad_2]
Source link