![कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित न होने वाले लोगों में भी होता है कार्डियोवैस्कुलर रोगों का जोखिम- स्टडी कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित न होने वाले लोगों में भी होता है कार्डियोवैस्कुलर रोगों का जोखिम- स्टडी](https://karkey.in/wp-content/uploads/https://images.hindi.news18.com/ibnkhabar/uploads/2022/02/cardiovascular-diseases-in-covid-patients-164457903616x9.jpg)
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Coronavirus and Heart Problems: कोरोनावायरस से ठीक होने के बाद भी लोगों में कई तरह की शारीरिक समस्याएं हो रही हैं, जिसमें हृदय से संबंधित परेशानियां (Heart Problems) लोगों में अधिक देखने को मिल रही हैं. हाल ही में हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई है कि कोरोना से संक्रमित हल्के लक्षणों वाले मरीजों में भी एक साल बाद कार्डियोवैस्कुलर (Cardiovascular) संबंधित समस्याओं के होने का खतरा बढ़ जाता है. शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में पाया है कि हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर होने की संभावना कोविड से ठीक हो चुके मरीजों में उन लोगों की तुलना में अधिक थी, जिन्हें कोरोना नहीं हुआ था. स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि हार्ट डिजीज का जोखिम उन लोगों में भी अधिक है, जिनकी उम्र 65 वर्ष से कम थी और उनमें मोटापा या डायबिटीज जैसी बीमारियां नहीं थीं.
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी (सेंट लुइस, मिसौरी) में इस स्टडी के सह-लेखक और सेंट लुइस हेल्थ केयर सिस्टम में वेटरन्स अफेयर्स के लिए रिसर्च एंड डेवलप्मेंट के प्रमुख जियाद अल-एली का कहना है कि आप युवक हैं या बुजुर्ग, आप स्मोकिंग करते हैं या नहीं, इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है. इनमें भी कोरोना होने के बाद कार्डियोवैस्कुलर डिजीज होने का जोखिम बना रहता है.
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अल-एली और उनके सहयोगियों ने यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ वेटरन्स अफेयर्स द्वारा क्यूरेट किए गए एक हेल्थ रिकॉर्ड डाटाबेस पर अपनी इस स्टडी को आधारित किया. शोधकर्ताओं ने 150,000 से अधिक ऐसे बुजुर्गों की तुलना असंक्रमित लोगों के दो समूहों से की जो कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद कम से कम 30 दिनों तक जीवित रहे.
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स्टडी में आई ये बात सामने
जो लोग कोरोना से ठीक हो गए थे, उनमें इंफेक्शन के बाद साल भर में लगभग 20 तरह की कार्डियोवैस्कुलर संबंधित समस्याओं में वृद्धि देखी गई. इनमें 52% अधिक स्ट्रोक होने की संभावना पाई गई. हार्ट फेल होने का खतरा 72% या प्रति 1,000 कोरोना संक्रमित लोगों में से 12 लोगों में पाया गया. ऐसा असंक्रमित लोगों के समूहों में नहीं देखा गया.
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