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क्या सुभाष चंद्र बोस ही थे गुमनामी बाबा? ये रोचक समानताएं चौंकाती हैं
Highlights
- सुभाष चंद्र बोस की मौत को लेकर कई गुत्थी अभी भी अनसुलझी है।
- गुमनामी बाबा का गोल चश्मा और सुभाष चंद्र बोस के चश्में में समानताएं थीं।
आज पूरे देश में सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जा रही है। भारत मां के इस वीर सपूत ने अपनी अदम्य साहस और दूरदर्शिता की वजह से अंग्रेजों के नाक में दम कर दिया था। आजाद हिंद फौज की स्थापना से लेकर गोपनीय तरीके से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान देने वाले नेताजी का संघर्ष, आज हर भारतीय के लिए प्रेरणा है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर कई रोचक चर्चाएं भी दर्ज हैं। इतिहास के पन्नों में सुभाष चंद्र बोस के निधन की घटना, साल 1945 में हुई प्लेन दुर्घटना के तौर पर बताई जाती है। लेकिन उनका नाम फैजाबाद के गुमनामी बाबा के साथ भी जुड़ता रहा।
सुभाष चंद्र बोस की मौत को लेकर कई गुत्थी अभी भी अनसुलझी है। ऐसा बताया जाता है कि अगस्त 1945 में हुए एक प्लेन हादसे में उनकी मौत हो गई थी। मगर इसके पीछे भी रहस्य की कई परते हैं, जो अभी खुल नहीं पाई हैं। कई अनुमानों में सुभाष चंद्र बोस के बारे में ये भी कहा गया कि उन्हें साइबेरिया की जेलों में भेज दिया। जबकि कुछ लोगों का ऐसा मत है कि वे एक हिंदू भिक्षु के रूप में भारत लौटे थे, और यही हिंदू भिक्षु गुमनामी बाबा थे।
हालांकि, हम इस बारे में कोई पुष्टि नहीं करते हैं सुभाष चंद्र बोस ही गुमनामी बाबा थे या नहीं।
सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा को लेकर समानताएं क्यों?
साल 1985 में जब गुमनामी बाबा का निधन हुआ, तब सुभाष चंद्र बोस से उनकी समानताओं को लेकर होने वाली चर्चाओं ने, एक बार फिर तूल पकड़ लिया।
- फैजाबाद के सिविल लाइन्स में गुमनामी बाबा का घर था। लोग उन्हें ‘भगवानजी’ के नाम से भी जानते थे। उनका गोल चश्मा और सुभाष चंद्र बोस के चश्में में समानताएं थी।
- गुमनामी बाबा के निधन के बाद जब उनके घर से जो चीजें बरामद की गईं उससे यह साफ जाहिर होता था कि वह कोई साधारण बाबा नहीं थे।
- गुमनामी बाबा नाम रखे जाने की पीछे वजह ये थी कि उनकी हर चीजें गोपनीय थीं। जब उनका आखिरी वक्त निकट आया, तब भी बहुत कम लोग इससे अवगत थे।
- उनके घर से कई किताबें और अखबार मिले। कई रिपोर्ट में यह दर्ज है कि गुमनामी बाबा फर्राटेदार अंग्रेजी और जर्मन बोलते थे। सुभाष चंद्र बोस भी भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान जर्मनी गए थे।
- कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि गुपचुप तरीके से 23 जनवरी को उनसे मुलाकात के लिए कई लोग उनके घर आया करते थे।
ये सारी बातें इस बारे में लोगों के कौतूहल को बढ़ा देते हैं कि कहीं – गुमनामी बाबा ही सुभाष चंद्र बोस तो नहीं थे!
सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा के बीच क्या समानताएं हैं? क्या सुभाष चंद्र बोस ही गुमनामी बाबा थे! इसे अनुमाम माना जाए या सच्चाई इसके बारे में अभी कोई पुख्ता तथ्य आधिकारिक तौर पर मान्य नहीं हैं। हालांकि, इतिहास यही बताता है उनकी मौत 1945 में प्लेन दुर्घटना में हुई थी।
बहरहाल आज सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उनके अदम्य साहस और बलिदान के लिए देश उन्हें सलाम करता है।
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