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माइग्रेन से पीड़ित लोगों को गाड़ी ड्राइव करना चाहिए या नहीं, यहां जानें सब कुछ

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माइग्रेन से पीड़ित लोगों को गाड़ी ड्राइव करना चाहिए या नहीं, यहां जानें सब कुछ

Migraine Treatment: माइग्रेन सिर दर्द का एक प्रकार है लेकिन, इसमें सामान्य दर्द की अपेक्षा कहीं ज्यादा तेज दर्द होता है. माइग्रेन का दर्द सामन्यतौर पर सिर के आधे हिस्से को प्रभावित करता है. माइग्रेन की समस्या कई सालों तक बनी रह सकती है. अगर समय रहते इसका तुरंत इलाज न किया जाए तो इससे हमारा जीवन भी बुरी तरह से प्रभावित होता है. बेहतर उपचार के साथ माइग्रेन की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में करीब 10 प्रतिशत लोग माइग्रेन की समस्या से पीड़ित हैं.

माइग्रेन की समस्या किसी को भी हो सकती है. हालांकि इसका अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखा गया है. माइग्रेन की समस्या की कोई निर्धारित उम्र नहीं है यह 10 साल से लेकर 45 साल के लोगों को अधिक प्रभावित करती है. माइग्रेन का दर्द लोगों को अपने दैनिक जीवन के कार्यों में भाग लेने से भी रोक देता है. हेल्थलाइन की खबर के अनुसार माइग्रेन से पीड़ित लोगों के लिए ड्राइव करना सुरक्षित नहीं है. आइए जानते हैं कि माइग्रेन के साथ गाड़ी ड्राइव करना कितना सुरक्षित है और जोखिम भरे कामों को करने का कोई और तरीका है…

माइग्रेन में गाड़ी चलाना कितना सुरक्षित है
माइग्रेन की समस्या के दौरान गाड़ी चलाना सुरक्षित नहीं माना जाता क्योंकि आप ठीक से फोकस नहीं कर पाते. यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब माइग्रेन काफी पुराना हो. यह कई तरह से आपको प्रभावित करता है लेकिन दो संभावित कारक सबसे अहम हैं. पहला माइग्रेन के अटैक के समय होने वाले न्यूरोलॉजिलकल परिवर्तन और दूसरा यह कि माइग्रेन के दर्द को दूर करने के लिए जो दवा ले रहे हैं उसका दुष्प्रभाव.

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माइग्रेन की दवा देने वाले डॉक्टर आपको बताएंगे कि जिन दवा का उपयोग आप कर रहे है क्या उसमें कोई ऐसी दवा है जिसे लेने के बाद आपको ड्राइविंग नहीं करना चाहिए. वैसे भी आमतौर पर डाक्टर यही सलाह देते हैं किसी भी प्रकार की दवा लेने के बाद किसी भारी मशीनरी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

बता दें कि एक नई दवा लेस्मिडिटन, में एक खास चेतावनी दी गई है कि आप इसे लेने के बाद कम से कम 8 घंटे तक भारी मशीनरी नहीं चला सकते हैं. अमेरिकन माइग्रेन फाउंडेशन माइग्रेन से पीड़ित लोगों को माइग्रेन के किसी भी चरण के दौरान ड्राइविंग से बचने की सलाह देता है क्योंकि इसके अटैक के दौरान लक्षण कभी भी खराब हो सकते हैं. माइग्रेन की समस्या आपकी ड्राइविंग को कई तरह से प्रभावित कर सकती है.

उल्टी को होना: माइग्रेन के दर्द के दौरान आपको अचानक उल्टी हो सकती है और इस दौरान अगर आप गाड़ी ड्राइव करते हैं तो इससे आपको कंट्रोल गाड़ी से छूट सकता है. उल्टी होने पर आप सड़क पर फोकस नहीं कर पाएंगे और इससे घटना होने की संभावना भी बढ़ जाती है.

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चक्कर का आना: माइग्रेन के की मरीजों को चक्कर आने की भी समस्या होती है ऐसे सुरक्षित रूप से गाड़ी चलाना मुश्किल हो सकता है. चक्कर आने की वजह से आपका कंट्रोल गाड़ी और खुद पर से हट सकता है.

देखने में मुश्किल होना: माइग्रेन का दर्द काफी तेज होता है ऐसे में इसका असर हमारी आंखों पर भी पड़ता है. दर्द के समय कई बार आंखों के सामने धुंध छाने लगती है और आंखें बंद भी होने लगती है इससे आप सुरक्षित तरीके से ड्राइविंग नहीं कर पाएंगे.

ब्रेन फॉग की समस्या: माइग्रेन के दर्द के दौरान अक्सर ब्रेक फॉग की भी समस्या होती है. इसमें कई बार आपका मस्तिष्क दर्द की वजह से ठीक से किसी भी चीज पर फोकस नहीं कर पाता. उसे न दूसरे की आवाज ठीक से सुनाई देती है और न ही आप किसी विकट स्थिति में तुरंत निर्णय ले पाते हैं.

प्रकाश और ध्वनि के प्रति अधिक संवेदनशील होना: ज्यादातर कारों का केबिन प्रकाश और ध्वनि के प्रति अधिक संवेदनशीलता प्रस्तुत करता है. इससे आपको आंखे खुली रखने और सड़क पर ध्यान केंद्रित करने में भी मुश्किल हो सकती है.

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