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नई दिल्ली. मानसिक शांति प्रदान करने का दावा करने वाले कुछ लोकप्रिय मेंटल हेल्थ और प्रेयर मोबाइल ऐप यूजर्स की निजता और डेटा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं. 32 में से 29 ऐप्स यूजर्स की प्राइवेसी और डेटा की सिक्योरिटी करने में असफल रहे हैं. मोजिला की एक रिसर्च में ऐसे तथ्य सामने आए हैं. जो ऐप्स गंभीर रूप से यूजर्स प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी की अनदेखी कर रही हैं, उनमें टॉकस्पेस (Talkspace), बेटर हेल्थ (Better Health) और Calm जैसे ऐप्स भी शामिल हैं, जिनका उपयोग दुनियाभर में करोड़ों लोग करते हैं.
मोजिला (Mozilla) द्वारा तैयार की गई Privacy Not Included गाइड लिस्ट में उन ऐप्स को शामिल किया गया है जो प्राइवेसी और सिक्योरिटी के लिए निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं. रिसर्चर्स का कहना है कि मेंटल हेल्थ और प्रेयर ऐप्स का ध्यान यूजर की प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी पर बिल्कुल भी नहीं है.
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मिलीं गंभीर खामियां
गैजेट्स 360 डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, लोगों को मानसिक शांति प्रदान करने का दावा करने वाले ये ऐप्स यूजर्स की प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा के लिए बनाए गए मूलभूत नियमों का भी पालन नहीं कर रहे हैं. इसे इस बात से समझा जा सकता है कि कुछ ऐप्स पर तो केवल एक अक्षर या अंक का भी पासवर्ड बनाया जा सकता है. यूजर्स डेटा को चुराकर ये ऐप्स डेटा ब्रोकर्स को बेच भी रहे हैं.
डेटा बेचने का आरोप
मोजिला की Privacy Not Included गाइड लिस्ट तैयार करने वाली टीम के लीडर जेन कैल्ट्रिडर का कहना है कि मेंटल हेल्थ ऐप्स यूजर्स के अत्यंत निजी डेटा की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. ऐप्स यूजर्स की निजी विचारों, भावनाओं, मनोदशा, मानसिक स्थिति और बायोमेट्रिक डेटा को न केवल ट्रैक और शेयर कर रहे हैं, बल्कि इसे दूसरी कंपनियों को बेचकर पैसे भी बना रहे हैं.
ज्यादातर मेंटल हेल्थ ऐप्स के पासवर्ड काफी कमजोर हैं और ये ऐप यूजर्स को बहुत ज्यादा पर्सनलाइज्ड एड भेजते हैं. मोजिला की रिसर्चर मिशा रयकोव का कहना है कि कई मामलों में तो ये ऐप डेटा चूसने वाली मशीन का काम करते हैं. इसे हम भेड़ की खाल में छिपे भेड़िये भी कह सकते हैं. बेटर हेल्प (Better Help), यूपर (Youper), वूइबोट (Woebot), बेटर स्टॉप सुसाइड (Better Stop Suicide), प्रे डॉट कॉम (Pray.com) और टॉकस्पेस (Talkspace) वो ऐप हैं, जिनमें यूजर्स की प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा से जुड़ी सबसे ज्यादा खामियां मिली हैं.
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रिसर्चर्स ने यही भी पाया है कि ये ऐप्स न केवल यूजर्स के डेटा को चुरा रहे हैं, बल्कि ये थर्ड पार्टी प्लेटफॉर्म से भी यूजर्स से संबंधित एडिशनल डेटा ले रहे हैं. इन ऐप्स को बनाने वाली कंपनियां इसके जरिए करोड़ों रुपये कमा रही हैं. वहीं डेटा ब्रोकर भी इन ऐप्स की मदद से अपने डेटाबेस को लोगों की अत्यंत संवेदनशील जानकारियों से भर रहे हैं.
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Tags: Apps, Portable gadgets, Tech news
FIRST PUBLISHED : May 03, 2022, 12:15 IST
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