![शनिवार को पीपल की पूजा से क्यों प्रसन्न होते हैं शनिदेव, इस कथा में छिपा है राज – shanivar upaay peepal tree sarso ke tel ka deepak know relation of peepal tree and shanidev शनिवार को पीपल की पूजा से क्यों प्रसन्न होते हैं शनिदेव, इस कथा में छिपा है राज – shanivar upaay peepal tree sarso ke tel ka deepak know relation of peepal tree and shanidev](https://karkey.in/wp-content/uploads/https://resize.indiatv.in/resize/newbucket/715_-/2022/03/peepal-tree-1646219302.jpg)
[ad_1]
![peepal tree peepal tree- India TV Hindi](https://resize.indiatv.in/resize/newbucket/905_-/2022/03/peepal-tree-1646219302.jpg)
peepal tree
Highlights
- शनिवार को पीपल की पूजा से शनिदेव प्रसन्न होते हैं
- शनिदेव और पीपल को लेकर एक कथा लोकप्रिय है
शनिदेव को न्याय का देव कहा जाता है। दंडाधिकारी के रूप में लोकप्रिय शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह की पूजा अर्चना की जाती है। इसमें से एक है शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना। शनिवार के दिन की गई पीपल की पूजा से शनिदेव प्रसन्न होकर जातक को राहत देते हैं। लेकिन पीपल के पेड़ की ही पूजा क्यों? ये सवाल लोगों के मन में भी उठता है।
कहा जाता है कि जिन लोगों पर शनिदेव का प्रकोप हो, शनि की साढ़ेसाती, ढैया का प्रकोप हो, उन्हें हर शनिवार पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इससे शनि के प्रकोप में राहत मिलती है।
इस पौधे को हमेशा दक्षिण पश्चिम दिशा में ही रखना चाहिए, कहीं और रखा तो होंगे बड़े नुकसान
शनिदेव और पीपल के बीच के इस संबंध को लेकर एक पौराणिक कथा काफी मशहूर है।
कई ग्रंथों में ऋषि पिप्पलाद की कथा कही गई है। इस कहानी के अनुसार के पिप्पलाद ऋषि का जन्म पीपल के नीचे हुआ था। बचपन में ही अनाथ हुए पिप्पलाद को पता चला कि शनिदेव के चलते उनके माता का बुरा हाल हुआ और वो मृत्यू को प्राप्त हुए तो वो ये सुनकर बहुत कोपित हो गए। वो शनिदेव को दंड देना चाहते थे। लेकिन येउनके बस की बात नहीं थी। इसलिए वो उसी पीपल के नीचे घोर तप करने के लिए बैठ गए, जिसके नीचे उनका जन्म हुआ था।
ऋषि पिप्पलाद ने कठोर तपस्या की। तप के पूर्ण होने के बाद ब्रह्मा जी प्रकट हुए और वर मांगने को कहा। तब पिप्पलाद ने ब्रह्मा जी से ब्रह्मदंड मांगा और उसी ब्रह्मदंड से पीपल के पेड़ पर बैठे शनिदेव के पैर में इतनी तेज प्रहार किया कि वे चीत्कार कर उठे।
पिप्पलाद शनिदेव पर और प्रहार करना चाहते थे लेकिन भगवान शिव ने आकर शनिदेव को बचाया और पिप्पलाद से कहा कि वो शनिदेव को क्षमा कर दें। भगवान शिव ने कहा कि शनि की दशा से पीड़ित लोग पीपल के पेड़ के नीचे दीप दान करेंगे तो शनिदोष से राहत मिलेगी।
इसीलिए भक्त शनि दशा से पीड़ित होने पर पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं। इससे शनिदेव अपनी ताप कम करते हैं औऱ जातक को राहत देते हैं।
[ad_2]
Source link