Home स्वास्थ्य शुरुआती उम्र में एंटीबायोटिक्स का सेवन हो सकता है खतरनाक! रिसर्च में सामने आई ये बात

शुरुआती उम्र में एंटीबायोटिक्स का सेवन हो सकता है खतरनाक! रिसर्च में सामने आई ये बात

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शुरुआती उम्र में एंटीबायोटिक्स का सेवन हो सकता है खतरनाक! रिसर्च में सामने आई ये बात

हाइलाइट्स

बचपन में एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल का नकारात्वमक असर वयस्क होने के बाद दिखता है.
ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है अध्ययन

Use of antibiotic medicine: हममें से अधिकांश लोग धड़ल्ले से एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं. हल्का सा भी कुछ हो जाए कि बिना डॉक्टरों की सलाह से एंटीबायोटिक की गोलियां निकाल लेते हैं. हम जरा भी नहीं सोचते कि इसका क्या परिणाम हो सकता है? यूं तो कोई भी दवा बिना डॉक्टरों की सलाह नहीं लेनी चाहिए लेकिन एंटीबायोटिक दवाओं को लेने में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत होती है क्योंकि एंटीबायोटिक दवाइयां तत्काल तो राहत दिला देती है लेकिन लंबे समय तक यह शरीर में कई बीमारियों का कारण बन सकती है. हाल ही में हुए एक ताजा अध्ययन में दावा किया गया है कि अगर एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल बचपन में ज्यादा किया जाए तो इसका नकारात्मक असर शरीर में वयस्क होने के बाद दिखता है.

क्या निकला रिसर्च में

इकोनोमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने पता लगाया है कि शुरुआती जीवन में एंटीबायोटिक दवाओं के संपर्क से तंत्रिका तंत्र पर लंबे समय तक बुरा प्रभाव पड़ता है और इससे गैस्ट्रो (पेट संबंधित) संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. शोधकर्ताओं ने चूहों पर अपने अध्ययन में पाया कि नवजात चूहों को दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं के लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गैस्ट्रो संबंधी फंक्शन में गड़बड़ियां होने लगती है. इस कारण वयस्क होने पर आंत संबंधी कई तरह की गड़बड़ियां होने लगती है और अक्सर दस्त जैसे लक्षण दिखते हैं. ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न विश्वविद्यालय के जैम फूंग ने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि जन्म के बाद दी जाने वाली एंटीबायोटिक्स नर्वस सिस्टम पर लंबे समय तक प्रभाव डाल सकती हैं. यह अध्ययन छोटे बच्चों को एंटीबायोटिक उपचार को आगे बढ़ाने के लिए नए लक्ष्य पेश कर सकता है.

पेट में गैस्ट्रो संबंधी दिक्कतें

जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार टीम ने चूहों को उनके जीवन के पहले 10 दिनों में हर दिन वैनकोमाइसिन की खुराक मुंह में दी. इन चूहों को वयस्क होने तक सामान्य रूप से पाला गया. इस दौरान चूहों की संरचना, कार्य, माइक्रोबायोटा और तंत्रिका तंत्र को मापने के लिए आंत के ऊतकों पर नजर रखी गई. अध्ययन में नर और मादा चूहों पर एंटीबायोटिक का अलग-अलग असर देखा गया. मादाओं की आंत में लंबा रास्ता दिखा जबकि नर चूहों में नियंत्रित समूह की तुलना में मल का वजन कम था. हालांकि नर और मादा दोनों में मल जल की मात्रा अधिक थी, जो दस्त के लक्षण है. इंसान और चूहों में कई तरह की समानताएं होती हैं. हालांकि चूहों की आंत कमजोर होती है और अपने छोटे जीवन काल के कारण वे तेजी से विकास करते हैं. शोधकर्ता अब आंत पर एंटीबायोटिक के असर के बारे में आगे का अध्ययन करेंगे

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FIRST PUBLISHED : September 12, 2022, 17:34 IST

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