Home खाना स्वाद का सफ़रनामा: ‘प्रेम का फल’ माना जाता है स्ट्रॉबेरी, इससे जुड़ी दिलचस्प बातें कर देंगी हैरान

स्वाद का सफ़रनामा: ‘प्रेम का फल’ माना जाता है स्ट्रॉबेरी, इससे जुड़ी दिलचस्प बातें कर देंगी हैरान

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स्वाद का सफ़रनामा: ‘प्रेम का फल’ माना जाता है स्ट्रॉबेरी, इससे जुड़ी दिलचस्प बातें कर देंगी हैरान

हाइलाइट्स

रोम के लोग मानते थे कि स्ट्रॉबेरी में औषधीय शक्तियां होती हैं.
हर स्ट्रॉबेरी मे मौजूद लगभग 200 रसदार बीज इसे खास बनाते हैं.
बेल्जियम के शहर में स्ट्रॉबेरी को समर्पित एक संग्रहालय बना है.

Swad Ka Safarnama: दिल के आकार और लाल रंग और रस से भरपूर स्ट्रॉबेरी देखने में जितनी मोहक और खूबसूरत है, शरीर के लिए भी उतनी ही गुणकारी है. इसमें पाए जाने वाले विशेष तत्व दिल को तो स्वस्थ रखते ही हैं, साथ ही दिमाग में उचित शक्ति का संचार करते हैं. पश्चिमी देशों में इसे प्रेम का फल माना जाता है और इसे वहां बेहद पसंद किया जाता है. अब तो भारत ने भी इस फल को अपना लिया है और मौसम को ‘अनुकूल’ बनाकर इसकी खेती की जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसकी खेती को लेकर बुंदेलखंड की एक लड़की की तारीफ कर चुके हैं.

‘प्रेम के फल’ का है गुलाब से नाता

भारत में आजकल स्ट्रॉबेरी खूब नजर आने लगी है. यहां तक सड़कों-चौराहों पर भी डिब्बा-बंद पैकेट में इन्हें बेचा जाने लगा है. पश्चिमी देशों के जंगलों में यह हजारों वर्ष पूर्व ही दिखाई देने लगी थी, लेकिन बेस्वाद और रूखी होने के चलते यह लोगों की जुबान और दिल में नहीं उतर पाई. बाद में इस फल पर बेहद मेहनत की गई और उसे खेती योग्य बनाया गया. रोम के प्राचीन साहित्य में जंगली स्ट्रॉबेरी का वर्णन है. वहां औषधीय रूप में इसका उल्लेख किया गया है. स्ट्रॉबेरी को ‘प्रेम का फल’ माना जाता है. विशेष बात यह है कि स्ट्रॉबेरी को गुलाब परिवार का ही माना जाता है.

Strawberry

विलियम शेक्सपियर ने भी अपनी एक कविता में स्ट्रॉबेरी का जिक्र किया है.

ग्रीक पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रेम की देवी वीनस के प्रेमी एडोनिस, जो बहुत ताकतवर व तेज दिमाग युवा था, उसे शिकार के दौरान एक जंगली सूअर ने मार दिया था. उसकी मृत्यु से आहत वीनस ने जब विलाप किया तो उसके आंसू टपककर पृथ्वी पर पहुंचते-पहुंचते लाल दिल के आकार के फलों में बदल गए. देवी वीनस व एडोनिस की इस कथा का वर्णन जाने-माने अंग्रेज कवि विलियम शेक्सपियर ने भी अपनी एक कथात्मक कविता (वर्ष 1593) में किया है. यह संभवत: उनकी पहली कविता मानी जाती है.

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नवविवाहितों को दिया जाता था इसका जूस

यह भी किंवदंती रही थी कि अगर डबल स्ट्रॉबेरी में से एक को तोड़कर किसी अन्य स्त्री-पुरुष को दे दिया जाए तो वे एक-दूसरे से प्यार करने के चक्कर में पड़ जाएंगे. प्राचीन काल में रक्ताभ रंग को देखकर इसे कामोत्तेजक भी माना जाता था और इसका जूस नवविवाहितों को दिया जाता था. प्रेम का प्रतीक मानते हुए ही मध्यकाल में चर्च की वेदियों और गिरजाघर के स्तंभों स्ट्रॉबेरी में उकेरा गया. लाल रंग को देखते हुए प्राचीन रोम के लोग मानते थे कि स्ट्रॉबेरी में औषधीय शक्तियां होती हैं. वह रंग के साथ-साथ इसके आकार से भी मोहित थे, इसलिए वे अवसाद, बेहोशी से लेकर बुखार, गुर्दे की पथरी, सांसों की बदबू और गले में खराश आदि समस्याओं में इस फल को खाते थे.

बेल्जियम के लोग तो स्ट्रॉबेरी के इतने दीवाने हैं कि उन्होंने अपने शहर वेपियोन Wepion) में इस फल को समर्पित एक संग्रहालय (Le Musée de la Fraise) ही बना रखा है. यहां पर स्ट्रॉबेरी के बारे में तो पूरी जानकारी मिलेगी ही साथ ही इस फल से बने जूस, जैम से लेकर सलाद, स्मूदी, डेसर्ट सहित स्ट्रॉबेरी बियर तक का आनंद ले सकते हैं. असल में हर स्ट्रॉबेरी मे मौजूद लगभग 200 रसदार बीज भी इस फल को विशेष बनाते हैं. यह बीज मुंह में डालते ही घुलने लगते हैं.

अमेरिका-फ्रांस से चलकर पूरी दुनिया में पहुंची

खेती और फल के रूप में स्ट्रॉबेरी का इतिहास बहुत अधिक पुराना नहीं है. वैसे पहली शताब्दी के रोमन कवि पुब्लियस वर्जिलियस मारो (वर्जिल) और ओविदियुस नासो (ओविड) ने अपने लेखन में स्ट्रॉबेरी का उल्लेख किया है, लेकिन भोजन के रूप में नहीं बल्कि सजावटी फल के रूप में. कारण यह था कि उस समयकाल में इस फल का आकार बेहद छोटा, बेस्वाद और सख्त था. माना जाता है कि 1300 के दशक में यूरोप में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू हो गई थी लेकिन गूदेदार और आकार में बड़ी स्ट्रॉबेरी 15वीं शताब्दी के अंत में उगना शुरू हुई.

Strawberry

‘स्ट्रॉबेरी शॉर्टकेक’ अमेरिका की आज भी पारंपरिक मिठाई है.

फूड इतिहासकारों के अनुसार 16वीं सदी के शुरुआती दौर में अमेरिका और फ्रांस में इसकी पूर्ण रूप से व्यावसायिक खेती भी शुरू कर दी गई और इसकी कई नस्लें भी पैदा कर ली गईं. वैसे कुछ इतिहासकारों का दावा है कि यह सबसे पहले फ्रांस में उगी तो कुछ इसकी खेती अमेरिका में बताते हैं. इसके बाद 17वीं शताब्दी के अंत में इसने ब्रिटेन में जलवे बिखेरना शुरू किए. स्ट्रॉबेरी जहां-जहां भी आगे बढ़ी, वहां सबका प्यारा फल बन गई. इसका रंग, आकार और विटामिन्स सबको लुभाता चला गया. आज विदेशों में इसे फल के अलावा कई विशेष प्रकार की डिशेज, आइसक्रीम आदि में इस्तेमाल किया जाता है. अमेरिका में इस फल से बना ‘स्ट्रॉबेरी शॉर्टकेक’ आज भी वहां की एक पारंपरिक मिठाई है.

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आजादी का पहला आंदोलन, पीएम मोदी और स्ट्रॉबेरी

भारत में स्ट्रॉबेरी को लाने का श्रेय अंग्रेजों को दिया जाता है. असल में वर्ष 1764 में फ्रांस के वैज्ञानिक ने अमेरिका के दक्षिणी और उत्तरी हिस्सों में पाई जाने वाली स्ट्रॉबेरी को मिलाकर नए किस्म की फसल तैयार की थी. ब्रिटिश इसे भारत में लेकर आए. यह उस समय की बात है है कि आजादी का पहला आंदोलन (वर्ष 1857) शुरू होने वाला था. कुछ साल पहले विक्टोरियन स्टडीज जनरल में प्रकाशित एक लेख ‘The First Strawberries in India’ के अनुसार भारत में 1836 से 1842 तक गवर्नर जनरल रहे लॉर्ड ऑकलैंड की लाटसाहबी के दौरान स्ट्रॉबेरी की खेती होने लगी थी. वर्ष 1857 की क्रांति के दौरान दिल्ली में रहने वाली ब्रिटिश महिला हैरियत टाइटलर ने भी इसका जिक्र किया है. अब आज की बात करें.

Strawberry

भारत में अक्टूबर से लेकर मार्च तक कई राज्यों में स्ट्रॉबेरी की खेती की जाती है.

पिछले वर्ष जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में बुंदेलखंड (झांसी) में रहने वाली गुरलीन चावला की तारीफ की थी, उन्होंने इस पथरीले क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की खेती का सफल प्रयोग करके दिखाया था. अब यह देश के कई राज्यों में उगाई जा रही है. असल में इसकी खेती के लिए तापमान 15 से 25 डिग्री होना चाहिए और भारत में अक्टूबर से लेकर मार्च तक तापमान लगभग इतना ही होता है. इसी के चलते हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और नीलगिरी की पहाड़ियों में इस अवधि में स्ट्रॉबेरी की खेती की जाती है. महाराष्ट्र का पंचगनी-महाबलेश्वर देश के स्ट्रॉबेरी उत्पादन का नेतृत्व करता है, जो भारत की आपूर्ति का 85 प्रतिशत है.

दिल, दिमाग और हड्डियों को लाभ पहुंचाती है

फलों के पोषक तत्वों की जानकारी देने वाले एक संगठन के अनुसार 100 ग्राम स्ट्रॉबेरी में पानी 91 ग्राम, कैलोरी 32, प्रोटीन 0.67 ग्राम, फेट 0.3 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 7.68 ग्राम, फाइबर 2 ग्राम, ग्लूकोज 4.89 ग्राम, विटामिन सी 59 मिलीग्राम, कैल्शियम, 16 मिलीग्राम, आयरन 0.41 मिलीग्राम, मैग्नीशियम 13 मिलीग्राम के अलावा फास्फोरस, पोटेशियम, कॉपर, जिंक, सोडियम आदि खनिज भी पाए जाते हैं. फूड एक्सपर्ट व न्यूट्रिशियन कंसलटेंट नीलांजना सिंह के अनुसार स्ट्रॉबेरी में एलाजिक एसिड, फ्लेवोनोइड्स जैसे समूह भरपूर हैं जो शरीर को एंटीऑक्सीडेंट बनाए रखते हैं, इसी कारण यह फल दिल के लिए बेहद अनुकूल है.

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स्ट्रॉबेरी खाने से शरीर की कई बीमारियों में लाभ मिलता है.

इसमें पोटेशियम, आयोडीन, फाइटोकेमिकल्स और विटामिन सी भी पर्याप्त मात्रा में है जो दिमागी ताकत को बढ़ाते हैं. यही गुण आंखों की रोशनी को भी बेहतर बनाए रखते हैं. इसका सेवन शुगर लेवल को भी कंट्रोल में रखता है. स्ट्रॉबेरी में जितने भी तत्व मौजूद हैं, उनमें से अधिकतर हड्डियों को मजबूत बनाने में भूमिका अदा करते हैं. साथ ही ऑस्टियोआर्थराइटिस (जोड़ों में क्षरण) से भी लड़ते हैं.

प्रतिरक्षा सिस्टम बढ़ाती है, ज्यादा खाने से परहेज करें

सिंह का यह भी कहना है कि यह फल प्रतिरक्षा सिस्टम (Immune System) को भी बूस्ट करता है. चूंकि इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो गठिया के दर्द को कम करने में मदद करते हैं. इसका सेवन शरीर में बनने वाले विषाक्त पदार्थों (detoxification) को भी लगातार निकालता रहता है. यह स्किन के लिए भी लाभकारी है, लेकिन खाने से नहीं लगाने से. इसका पेस्ट बनाकर स्किन पर लगाया जाए तो वह उसे ताजा व कोमल बनाए रखती है. इसका फेस मास्क भी कारगर है. मोटे तौर पर स्ट्रॉबेरी में कोई साइड इफेक्ट नहीं है. बेहतर यह है कि ऑर्गेनिक स्ट्रॉबेरी का सेवन करें. वैसे इसका अधिक सेवन करने से ब्लड शुगर में इजाफा हो सकता है. पेट गड़बड़ा सकता है और लूजमोशन भी हो सकते हैं. इससे अधिक सेवन से जी मिचला सकता है.

Tags: Food, Lifestyle

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