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नई दिल्ली11 घंटे पहले
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अल्फाबेट इंक और गूगल के CEO सुंदर पिचाई भारत के नए IT (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमों के साथ हैं। उन्होंने कहा कि हमारी कंपनी स्थानीय कानूनों का पालन करने और सरकारों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार तेजी से विकसित हो रहे IT सेक्टर से तालमेल बैठाने के लिए रेगुलेटरी ढांचा तैयार करती हैं।
एशिया प्रशांत क्षेत्र के चुनिंदा पत्रकारों के साथ एक वर्चुअल सम्मेलन में सुंदर पिचाई ने कहा, “यह स्पष्ट रूप से शुरुआती दिन हैं और हमारे स्थानीय दल बहुत व्यस्त हैं। हम हमेशा हर देश में स्थानीय कानूनों का सम्मान करते हैं और हम रचनात्मक रूप से काम करते हैं। हमारे पास स्पष्ट पारदर्शिता रिपोर्ट है, जब हम सरकारी अनुरोधों का अनुपालन करते हैं, तो हम इसका उल्लेख अपनी पारदर्शिता रिपोर्ट में करते हैं।”
जहां जरूरत होती है वहां पीछे हटती है कंपनी
एक स्वतंत्र और खुला इंटरनेट बुनियादी जरूरत है और भारत में इसकी लंबी परंपराएं हैं। एक कंपनी के तौर पर हम स्वतंत्र और खुले इंटरनेट के मूल्यों और इससे होने वाले लाभों के बारे में स्पष्ट रूप से जानते हैं और हम इसकी वकालत करते हैं। हम दुनियाभर के रेगुलेटरी के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ते हैं, हम इन प्रक्रियाओं में भाग लेते हैं। कंपनी विधायी प्रक्रियाओं का सम्मान करती है। जिन मामलों में उसे पीछे हटने की जरूरत होती है, वह ऐसा करती है।
निजता के अधिकार का सम्मान जरूरी
सरकार ने नए डिजिटल नियमों का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि वह निजता के अधिकार का सम्मान करती है। वॉट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म को नए IT नियमों के तहत चिन्हित संदेशों के मूल स्रोत की जानकारी देने को कहना निजता का उल्लंघन नहीं है। सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से नए नियमों को लेकर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है।
नए नियमों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाम कसेगी
वॉट्सऐप सरकार के नए डिजिटल नियमों को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है जिसके एक दिन बार सरकार की यह प्रतिक्रिया आई है। वॉट्सऐप का कहना है कि कूट संदेशों तक पहुंच उपलब्ध कराने से निजता का बचाव कवर टूट जायेगा। नए नियमों का ऐलान 25 फरवरी को किया गया था। नए नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप जैसे बड़े सोशल प्लेटफॉर्म को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी। देश में इनके 50 लाख से ज्यादा यूजर्स हैं।
नियमों का पालन न करने पर इन सोशल मीडिया कंपनियों को अपने इंटरमीडिएरी दर्जे को खोना पड़ सकता है। यह स्थिति उन्हें किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी और उनके द्वारा ‘होस्ट’ किए गए डेटा के लिए देनदारियों से छूट और सुरक्षा प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में इसका दर्जा समाप्त होने के बाद शिकायत होने पर उन पर कार्रवाई की जा सकती है।
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