Home Entertainment सिनेमा Ayushmann Khurrana says- I am trying to tell people with my films that they should not stereotype themselves. | आयुष्‍मान खुराना कहते हैं- मैं अपनी फिल्मों से लोगों को ये बताने की कोशिश करता हूं कि वो खुद को स्टीरियोटाइप न करें

Ayushmann Khurrana says- I am trying to tell people with my films that they should not stereotype themselves. | आयुष्‍मान खुराना कहते हैं- मैं अपनी फिल्मों से लोगों को ये बताने की कोशिश करता हूं कि वो खुद को स्टीरियोटाइप न करें

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Ayushmann Khurrana says- I am trying to tell people with my films that they should not stereotype themselves. | आयुष्‍मान खुराना कहते हैं- मैं अपनी फिल्मों से लोगों को ये बताने की कोशिश करता हूं कि वो खुद को स्टीरियोटाइप न करें

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42 मिनट पहले

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बॉलीवुड एक्टर आयुष्मान खुराना ने कहा कि एक कलाकार के तौर पर उनका मकसद लोगों को लगातार ये बताना है कि वो खुद को या दूसरों को स्टीरियोटाइप न करें। वो अपनी फिल्मों के माध्यम से ऐसा करते हैं जिसका हिस्सा बनना उन्हें पसंद है। वो लगातार ऐसी कंटेंट वाली फिल्में करना चाहते हैं जो अलग हटकर हों और समाज में पॉजिटिव मैसेज दें। आयुष्मान का कहना है कि उनकी ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘ड्रीम गर्ल’, आज अपनी रिलीज की दूसरी सालगिरह पूरी कर रही है, इसका मकसद भी बस यही करना था।

आयुष्मान का कहना है कि जाने अनजाने में हम चीजों को स्टीरियोटाइप कर देते हैं

आयुष्मान कहते हैं, “जानते-बूझते हुए या अनजाने में हम लगातार अपने आस-पास की हर चीज को स्टीरियोटाइप होने के लिए बाध्य करते हैं। कभी-कभी, हमें यह भी पता नहीं होता कि हम या तो स्टीरियोटाइप हो रहे हैं या दूसरों को स्टीरियोटाइप बना रहे हैं या हम खुद को स्टीरियोटाइप बना रहे हैं।”

सोसाइटी में पॉजिटिव चेंज लाने के लिए आयुष्मान ने की थी ‘ड्रीम गर्ल’

आयुष्मान फिल्म के माध्यम से इस जरूरी संदेश को फैलाने की कोशिश करने का श्रेय अपने निर्देशक राज शांडिल्य और निर्माता एकता कपूर को देते हैं। वे कहते हैं, “मुझे ‘ड्रीम गर्ल’ की स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई क्योंकि यह हमें खुद को स्टीरियोटाइप न होने देने की बात करती है क्योंकि यह हमें अपनी क्षमताओं को पहचानने और कुछ अलग हटकर करने से रोकता नहीं रोकती है। इसने हमें बताया कि जब हम इस साइकल को तोड़ते हैं, तो हम समाज में पॉजिटिव बदलाव ला सकते हैं।”

पूजा का किरदार आयुष्मान के लिए बहुक फ्रेश था

आयुष्मान आगे कहते हैं, “मेरा किरदार करमवीर जब पूजा बनने का फैसला करता है तो वो खुद को स्टीरियोटाइप होने से रोक लेता है। मेरे लिए, यह एक फ्रेश और चौंकाने वाला विचार था और इसने मुझे मेरे दिमाग पर हिट किया क्योंकि मैं लगातार ऐसे विषयों की तलाश में रहता हूं जिसमें ऑडियंस के लिए कोई संदेश होता है।”

हमेशा ऐसे रोल्स की तलाश में रहते हैं आयुष्मान

आयुष्मान कहते हैं कि कि अगर वह स्टीरियोटाइप्स को तोड़ने के इस मिशन पर कायम रहते हैं तो एक एक्टर के तौर पर उन्हें संतुष्टि मिलेगी। वो कहते हैं, “अगर आप ‘बाला’, ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ जैसी फिल्मों को देखेंगे, तो आप पाएंगे कि मैं लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि वे खुद को स्टीरियोटाइप न करें। मैं उम्मीद करता हूं कि मुझे कुछ अच्छी स्क्रिप्ट्स मिल सकती हैं जो मुझे इस संदेश को और आगे बढ़ाने में मदद करेंगी। एक कलाकार के रूप में वास्तव में इससे मुझे खुशी मिलेगी।”

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