Home Technology News प्रौद्योगिकी Chip Shortage Latest Update 2021; Automakers Estimated Loss Of Rs 8 Lakh Crore | ऑटोमेकर्स को इस साल 8 लाख करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान, चिप के ऑर्डर और डिलिवरी का वेटिंग टाइम 4 महीने हुआ

Chip Shortage Latest Update 2021; Automakers Estimated Loss Of Rs 8 Lakh Crore | ऑटोमेकर्स को इस साल 8 लाख करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान, चिप के ऑर्डर और डिलिवरी का वेटिंग टाइम 4 महीने हुआ

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नई दिल्ली3 दिन पहले

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कम्प्यूटर से लेकर कार तक का प्रोडक्शन चिप की वजह से रुक गया है। या फिर उसकी रफ्तार धीमी हो गई है। आसान शब्दों में कहा जाए तो ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां तक चिप की कमी से जूझ रही हैं। चिप की कमी को नए खतरे के तौर पर भी देखा जा सकता है। महामारी के इस दौर में प्रोडक्शन सुस्त होने की वजह से अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई है।

सस्कुहन्ना (Susquehanna) फाइनेंशियल ग्रुप की रिसर्च के मुताबिक, अप्रैल में चिप के ऑर्डर और डिलिवरी का टाइम पीरियड बढ़कर 17 सप्ताह (करीब 4 महीने) तक पहुंच गया है। 2017 में जब इस इसके डेटा को ट्रैक किया है तब से चिप वेटिंग का ये नया रिकॉर्ड भी है।

सस्कुहन्ना एनालिस्ट क्रिस रोलैंड ने कटिंग पावर मैनेजमेंट और एनालॉग चिप लीड टाइम्स का हवाला देते हुए एक नोट में लिखा कि सभी प्रमुख प्रोडक्ट की कैटगरी में वेटिंग टाइम की काफी वृद्धि हुई है। जब से हमने डेटा ट्रैक करना शुरू किया है, तब से ये सबसे बड़ा वेटिंग टाइम है।

ऑटोमेकर्स को 8 लाख करोड़ के नुकसान की उम्मीद
चिप की कमी के चलते कार, गेमिंग कंसोल और रेफ्रिजरेटर जैसे प्रोडक्ट्स की शिपिंग भी रोक दी गई है। वहीं, फोर्ड मोटर, जनरल मोटर कंपनी को जरूरी कम्पोनेंट नहीं मिलने की वजह से अपने प्लांट बंद करने पड़े। इसकी वजह से ऑटोमेकर्स को इस साल बिक्री में 110 बिलियन डॉलर (करीब 8 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान होने की उम्मीद है। प्लांट बंद होने के चलते रोजगार कम हो रहे हैं। वहीं, आर्थिक नुकसान होने से भविष्य के लिए खतरा भी बढ़ रहा है।

महामारी से ताइवान के हालत बिगड़े
चिप का बड़ा प्रोडक्शन ताइवान में किया जा रहा है। इसी वजह से दुनिया की ज्यादातर कंपनियां ताइवान पर निर्भर हैं। कोविड-19 के मामले फिर से बढ़ने की वजह से चिप प्रोडक्शन मुश्किल हो गया है। देश के अंदर स्कूल, कॉलेज बंद हैं। वहीं, सोशल एक्टिविटी के साथ म्यूजियम और पब्लिक फेसिलिटी भी बंद कर दी गई हैं। हालांकि, बिजनेसेस और फैक्ट्रीज का चालू रखा गया है। कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के चलते सरकार व्यापक प्रतिबंध पर विचार कर सकती है।

ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी दुनिया की सबसे बेहतर चिप बनाने वाली घरेलू कंपनी है। कई ग्राहक इसकी गिनती एपल इंक और क्वालकॉम में करते हैं। यहां चिप प्रोडक्शन के साथ डिस्प्ले ड्राइवर आईसी जैसे प्रोडक्ट का निर्माण किया जाता है।

जापान लोकल चिप प्रोडक्शन को बूस्ट करेगा
निक्केई अखबार के मुताबिक, जापान ने इस साल लोकल सेमीकंडक्टर और बैटरी के प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए ज्यादा खर्च को बढ़ाने की योजना बनाई है। उसने बताया कि जून के शुरू में तैयार किए जाने वाले ड्राफ्ट ग्रोथ ब्लूप्रिंट के तहत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी डेवलप करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश को बढ़ावा देगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार लोकल चिपमेकिंग इंडस्ट्री और सेमीकंडक्टर के प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए 200 बिलियन येन (करीब 13.45 हजार करोड़ रुपए) खर्च करेगी।

भारत भी चिप मेकर कंपनियों को लुभा रहा
सेमीकंडक्टर की कमी को पूरा करने के लिए देश की सरकार भी यहां पर चिप बनाने वाली कंपनियों को लाना चाहती है। उसने सेमीकंडक्टर बनाने वाली हर कंपनी को 1 बिलियन डॉलर (करीब 7300 करोड़ रुपए) से भी ज्यादा रुपए कैश ऑफर किए हैं। इस राशि की मदद से वो देश में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाना चाहती हैं। ताकि स्मार्टफोन असेंबली इंडस्ट्री की सप्लाई चेन मजबूत हो सके। यह चिप कंपनियों के लिए देश में स्थापित होने का सही समय भी है।

क्या है सेमीकंडक्टर?
ये आमतौर पर सिलिकॉन चिप्स होते हैं। इनका इस्तेमाल कम्प्यूटर, सेलफोन, गैजेट्स, व्हीकल और माइक्रोवेव ओवन तक जैसे कई प्रोडक्ट्स में होता है। ये किसी प्रोडक्ट की कंट्रोलिंग और मेमोरी फंक्शन को ऑपरेट करते हैं।

मार्केट्सएंडमार्केट्स वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री 2016 से 2022 के बीच सालाना 5.8% की दर से बढ़ी। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि 2022 तक ऑटोमोटिव सेमीकंडक्टर बाजार 48.78 बिलियन डॉलर यानी करीब 3.56 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा।

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