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नई दिल्ली. शादी के बाद पति-पत्नी के संबंधों में समस्या आना सामान्य बात है. उसके लिए कई बार परिवार वाले और रिश्तेदार दोनों के बीच तालमेल बिठाने और मनमुटाव को दूर करने की कोशिशें करते हैं. जब वे भी सफल नहीं हो पाते तो कई बार मैरिज काउंसिलर्स का सहारा लिया जाता है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से एक नया ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है. अब विवाहित जोड़े शादी के बाद नहीं बल्कि लड़के और लड़कियां शादी से पहले ही मैरिज काउंसलिंग के सेशन ले रहे हैं. मेट्रो शहरों में शादी से पहले मैरिज काउंसिलिंग का यह चलन तेजी से बढ़ रहा है. इसे प्री-मैरिज काउंसिलिंग (Pre-Marriage Counselling) भी कहा जा सकता है.
दिल्ली में इंपीरियल वेडिंग नाम से पर्सनलाइज्ड मैचमेकिंग और काउंसलिंग की सेवा दे रहीं मैरिज एडवाइजर रेनु गर्ग कहती हैं कि काउंसिलिंग शब्द से ही लोग अनुमान लगाते हैं कि यह शादी के बाद पति-पत्नी (Husband-Wife) के रिश्ते में आई दरार या मतभेदों को कम करने के लिए की ली जाने वाली सुविधा है लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है. पिछले करीब 10 सालों से बतौर मैरिज काउंसिलर काम करते हुए उन्होंने यह समझा है कि मैरिज काउंसलिंग का संबंध दो इंसानों के स्वभाव को समझना, उसके अनुसार उन्हें विवाह के मायने बताना, बेहतर सामंजस्य के लिए तैयार करना है. शादी से जुड़े कई ऐसे मुद्दे होते हैं, जिसे विवाह के बंधन में बंधने से पहले ही जाना जाए, तो आगे चलकर बेहतर जीवन बनता है.
रेनू बताती हैं कि वे पिछले 10 साल से लड़के और लड़कियों के बायोडाटा की मैचमेकिंग करने के साथ ही शादी से पहले उनकी काउंसिलिंग का काम कर रही हैं. पर्सनलाइज्ड सेवा के तौर पर लड़के और लड़कियों के बायोडाटा को मैच करने के बाद वे लड़की वालों और लड़के वालों मांग के अनुरूप इन्हें शॉर्टलिस्ट करते हैं और लड़कों के बायोडाटा लड़की वालों को भेजते हैं, अगर वे राजी हो जाते हैं तो फिर लड़के वालों से बात करते हैं. जब बात आगे बढ़ती है तो रिलेशनशिप मैनेजर दोनों पक्षों की मीटिंग कराते हैं. इस दौरान अगर लड़के और लड़की को किसी प्रकार की कोई कठिनाई महसूस होती है तो दोनों को बिठाकर, उनके विचार जानकर, उसके अनुसार काउंसिलिंग करते हैं.
वहीं सारथी नाम से काउंसलिंग सेवा दे रहीं मैरिज कंसल्टेंट शिवानी मिश्री साधू कहती हैं कि वर्तमान समय में टूटते-बिखरते रिश्तों के कारण शादी का फैसला लेने में युवा असमंजस महसूस करते हैं. यही वजह है कि वे अब प्री मैरिज काउंसिलिंग का सहारा ले रहे हैं. उनके पास भी ऐसे कपल आते हैं जो शादी के बाद के चैलेंजेस को जानने और खुद को उनके लिए तैयार करने के लिए कंसल्टेंट की राय चाहते हैं. परिवार और रिश्तेदारों की सलाह के बजाय प्रोफेशनल्स की सलाह लेने आ रहे ये ज्यादातर उच्च या उच्च मध्यम वर्ग के युवा होते हैं.
शिवानी कहती हैं कि अरेंज मैरिजेस में प्री मैरिज काउंसिलिंग तो की ही जा रही है लेकिन कई बार प्रेम विवाह कर रहे लड़के और लड़कियां भी आगे का जीवन बेहतर रहे इसके लिए प्री मैरिज काउंसलिंग के लिए आते हैं. इस दौरान उनके मन में आगे के जीवन को लेकर तमाम सवाल होते हैं, कई आशंकाएं होती हैं, इसके अलावा कुछ मामलों में एक दूसरे के स्वभाव को लेकर भी शिकायतें होती हैं, या फिर परिवार संबंधी समस्याएं भी होती हैं, जिनके लिए वे सलाह लेते हैं. यह आजकल काफी चलन में हो गया है.
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Tags: Marriage, Wedding, Wedding Ceremony
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