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नई दिल्ली9 घंटे पहले
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‘द एसोसिएटेड प्रेस’ की एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फेसबुक म्यामां के रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले नफरत भरे भाषणों पर लगाम लगाने में विफल रहा है। इस तरह के रवैये ने उनके खिलाफ ‘नरसंहार’ में एक निर्णायक भूमिका निभाई थी।
‘द एसोसिएटेड प्रेस’ के साथ विशेष रूप से साझा की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकार समूह ‘ग्लोबल विटनेस’ ने फेसबुक को अप्रूव के लिए आठ भुगतान युक्त विज्ञापन (पेड एड) दिए, जिनमें से प्रत्येक में रोहिंग्या के खिलाफ नफरतभरे भाषण थे।
फेसबुक ने सभी 8 एड अप्रूव किए थे
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फेसबुक ने सभी 8 एड को पब्लिश करने के लिए अप्रूव कर दिया था। हालांकि समूह ने विज्ञापनों को जारी किए जाने से पहले ही हटा लिया था। लेकिन इस इतना तो पक्का हो गया कि बेहतर करने के अपने वादों के बावजूद फेसबुक का मंच नफरत फैलाने वाले भाषणों को रोकने में विफल है।
फेसबुक पर अभी भी एड दिख रहे
रोहिंग्या विद्रोहियों के हमले के बाद म्यामां की सेना ने 2017 में पश्चिमी म्यामां के रखाइन राज्य में एक अभियान चलाया था। इस दौरान सात लाख से अधिक रोहिंग्या पड़ोसी बांग्लादेश में भाग गए थे। विशेषज्ञों का दावा है कि फेसबुक के मंच पर इस तरह के विज्ञापनों का दिखना अब भी जारी है।
हिंसा में 10,000 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान मारे गए
दिसंबर 2021 में रोहिंग्या मुसलमानों ने फेसबुक की मूल कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म पर मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें 15,000 करोड़ डॉलर (लगभग 11.3 लाख करोड़ भारतीय रुपए) का हर्जाना मांगा गया। रोहिंग्या मुसलमानों ने फेसबुक पर म्यांमार में सैन्य शासकों और उनके समर्थकों द्वारा रोहिंग्या लोगों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाली नफरती पोस्ट को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया था।
मुकदमा करने वाली लॉ फर्म के अनुसार, हिंसा में 10,000 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान मारे गए थे और 1,50,000 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा था। मुकदमे में फेसबुक के एल्गोरिदम को हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।
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