Home Technology News प्रौद्योगिकी Facebook Hate Speech Internal Report Part-2; Review Team On Fake Content | जो टीम प्लेटफॉर्म से भड़काऊ पोस्ट हटाती है, कंपनी ने खर्च घटाने के लिए उसे ही कम किया

Facebook Hate Speech Internal Report Part-2; Review Team On Fake Content | जो टीम प्लेटफॉर्म से भड़काऊ पोस्ट हटाती है, कंपनी ने खर्च घटाने के लिए उसे ही कम किया

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Facebook Hate Speech Internal Report Part-2; Review Team On Fake Content | जो टीम प्लेटफॉर्म से भड़काऊ पोस्ट हटाती है, कंपनी ने खर्च घटाने के लिए उसे ही कम किया

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नई दिल्ली19 घंटे पहले

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फेसबुक से जुड़े विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे। एक दिन पहले ही कंपनी की इंटरनल रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। ऐसे में अब फेसबुक का नया विवाद सामने आ गया है। कंपनी की इंटरनल रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि अपनी इन्फ्लेमेटरी और डिविसिव कंटेंट पर काबू पाने वाली ग्लोबल टीम को लगातार छोटा किया है। फेसबुक की ग्लोबल टीम भड़काऊ कमेंट और पोस्ट पर नजर रखती है। उन्हें हटाने का काम करती है।

6 अगस्त, 2019 की एक इंटरनल रिपोर्ट में कहा गया है कि खर्च को कम करने के लिए फेसबुक ने तीन संभावित लेवल प्रस्तावित किए थे। इसमें यूजर्स की रिपोर्ट का रिव्यू, भड़काऊ और भ्रामक पोस्ट की घटती संख्या, और कम अपील की समीक्षा करना शामिल रहे।

फेसबुक रिव्यू टीम सिर्फ 25% कंटेंट पर काम कर रही थी

  • फेसबुक के इस डॉक्यूमेंट में कहा है कि भड़काऊ पोस्ट पर लगाम लगाने जैसी गतिविधियों पर होने वाले खर्च का तीन चौथाई कम करने की योजना है। किसी यूजर या थर्ड पार्टी द्वारा उठाई गई आपत्ति वाले कंटेंट की समीक्षा के लिए यह टीम काम कर रही थी।
  • डॉक्यूमेंट के मुताबिक, फेसबुक पर पोस्ट होने वाले भड़काऊ पोस्ट और कमेंट जैसे कंटेंट की समीक्षा के मामले में फेसबुक की टीम द्वारा अपनी तरफ से सिर्फ 25% पर ही काम किया जा रहा था।
  • कंपनी हेट कंटेंट के रिव्यू पर हर सप्ताह 2 मिलियन डॉलर (करीब 15 करोड़ रुपए) से अधिक खर्च कर रही थी। कंपनी ने अपने प्लान के चलते 2019 के आखिर तक हेट कंटेंट पर होने वाले कुल खर्च को 15% तक कम कर दिया था।

फेसबुक की कॉस्ट कटिंग का यूजर पर असर नहीं: फेसबुक
भारत में फेसबुक के 34 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं। यूजर्स की संख्या के लिहाज से भारत फेसबुक का सबसे बड़ा मार्केट भी है। पिछले 18 महीने में फेसबुक पर इस तरह के पोस्ट आने के मामले घटे हैं। फेसबुक ने एक इंटरनल डॉक्यूमेंट में कहा है, “आप इसे इस तरह समझ सकते हैं कि फेसबुक की कॉस्ट कटिंग का इसके यूजर पर कोई असर पड़ने की आशंका नहीं है। सवाल यह है कि हम कैपेसिटी कम करने के तरीके पर किस तरह अमल कर सकते हैं। अब यूजर की रिपोर्ट के हिसाब से ही इस तरह के कदम उठाए हैं।”

बीते कुछ दिनों में सामने आए फेसबुक के विवादों की लिस्ट

1. भारत में चुनावों के दौरान भड़काऊ पोस्ट को बढ़ावा दिया
फेसबुक ने पिछले दो साल की मल्टिपल इंटरनल रिपोर्ट्स में कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए। इसमें कहा गया कि 2019 लोकसभा चुनाव अभियान में ‘एंटी-माइनॉरिटी’ और ‘एंटी-मुस्लिम’ बयानबाजी पर रेड फ्लैग में वृद्धि देखी गई थी। जुलाई 2020 की एक रिपोर्ट में इस बात को हाईलाइट किया गया है कि पिछले 18 महीने में इस तरह के पोस्ट में तेजी से वृद्धि हुई। पश्चिम बंगाल सहित आगामी विधानसभा चुनावों में इस तरह की पोस्ट के जरिए लोगों की भावनाओं को आहत करने की आशंका थी। पूरी खबर के लिए क्लिक करें…

2. MMR टीकाकरण से जुड़े फेक कंटेंट को बढ़ावा दिया
फेसबुक से जुड़ी एक नई रिसर्च में कहा गया है कि कंपनी ने कोविड-19 महामारी और वैक्सीनेशन से जुड़ी कई फेक प्रोफाइल को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर प्रमोट किया। इसके चलते बीते साल इन प्रोफाइल के 370,000 फॉलोअर्स बन गए। फेसबुक ने अपने अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर जिन ग्रुप को बढ़ावा दिया उनमें एक्सपेरिमेंट के नाम पर बच्चों की हत्या करने की बात की जा रही थी। इंस्टाग्राम पर एंड्रयू वेकफील्ड की एक डॉक्युमेंट्री को प्रमोट किया गया, जिसमें MMR टीकाकरण और ऑटिज्म से जुड़े फेक कंटेंट को बढ़ावा दिया गया। इस फेक कंटेंट से लोगों में वैक्सीन के प्रति गलत सोच पैदा हुई। पूरी खबर के लिए क्लिक करें…

3. टाइम मैगजीन ने कवर पर लिखा ‘डिलीट फेसबुक’
एक अन्य खुलासे में फ्रांसेस हौगेन ने फेसबुक पर आरोप लगाया था कि उसके प्रोडक्ट बच्चों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके बाद टाइम मैगजीन ने भी जुकरबर्ग को निशाने पर लिया था। फेसबुक का विरोध करते हुए मैगजीन ने अपने कवर पर जुकरबर्ग का फोटो लगाकर ‘डिलीट फेसबुक’ के टेक्स्ट के साथ ‘कैंसिल या डिलीट’ के ऑप्शन को छापा था। पूरी खबर के लिए क्लिक करें…

4. भारत में ‘फेकबुक’ की शक्ल ले चुका फेसबुक
हौगेन ने एक दूसरे खुलासे में बताया है कि भारत में यह प्लेटफॉर्म ‘फेकबुक’ (फर्जी सामग्री की पुस्तक) की शक्ल लेता जा रहा है। इस समूह में ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ भी शामिल है। इसके लिए हौगेन ने इन रिपोर्टों-अध्ययनों के दस्तावेज जुटाए हैं। इनके आधार पर वे लगातार फेसबुक की कार्य-संस्कृति, अंदरूनी खामियों आदि से जुड़े खुलासे कर रही हैं। उनके द्वारा सार्वजनिक किए गए ‘फेसबुक पेपर्स’ के मुताबिक भारत में फर्जी अकाउंट्स से झूठी खबरों के जरिए चुनावों को प्रभावित किया जा रहा है। पूरी खबर के लिए क्लिक करें…

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