Home Technology News प्रौद्योगिकी Facebook India Hate Speech Reports; 2019 Lok Sabha Election Campaign To Covid Misinformation | BJP-RSS ने 2019 लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान अल्पसंख्यकों को लेकर फेक न्यूज फैलाई, लव जिहाद जैसे मुद्दों को हवा दी

Facebook India Hate Speech Reports; 2019 Lok Sabha Election Campaign To Covid Misinformation | BJP-RSS ने 2019 लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान अल्पसंख्यकों को लेकर फेक न्यूज फैलाई, लव जिहाद जैसे मुद्दों को हवा दी

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Facebook India Hate Speech Reports; 2019 Lok Sabha Election Campaign To Covid Misinformation | BJP-RSS ने 2019 लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान अल्पसंख्यकों को लेकर फेक न्यूज फैलाई, लव जिहाद जैसे मुद्दों को हवा दी

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नई दिल्ली30 मिनट पहले

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दुनिया का सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक अब कंट्रोवर्सी का चेहरा बन गया है। फेक न्यूज, भड़काऊ पोस्ट, ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसे कई दाग इसके दामन पर लग चुके हैं। अब फेसबुक ने पिछले दो साल की मल्टीपल इंटरनल रिपोर्ट्स में कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इसमें कहा गया है कि 2019 लोकसभा चुनाव अभियान में ‘एंटी-मायनॉरिटी’ और ‘एंटी-मुस्लिम’ बयानबाजी पर रेड फ्लैग में वृद्धि देखी गई थी।

जुलाई 2020 की एक रिपोर्ट में इस बात को हाईलाइट किया गया है कि पिछले 18 महीने में इस तरह के पोस्ट में तेजी से वृद्धि हुई। इतना ही नहीं, पश्चिम बंगाल सहित आगामी विधानसभा चुनावों में इस तरह की पोस्ट के जरिए लोगों की भावनाओं को आहत करने की आशंका थी।

सोशल मीडिया पोस्ट से भारत में हिंसा का जोखिम ज्यादा
फेसबुक पर किसी नफरत फैलाने वाली पोस्ट को रेड फ्लैग दिया जाता है। इस तरह चिह्नित किए जाने का मतलब होता कि उससे खतरे की आशंका है। यूं कहें कि रेड फ्लैग के जरिए लोगों को उससे बचने का संकेत दिया जाता है। फेसबुक की लगभग इस तरह की सभी रिपोर्टों ने भारत को जोखिम वाले देशों (ARC) श्रेणी में रखा है। इसके मुताबिक भारत में सोशल मीडिया पोस्ट से सामाजिक हिंसा का जोखिम अन्य देशों से अधिक है।

गलत सूचना वाली पोस्ट में मायनॉरिटी को शामिल किया
यूनाइटेड स्टेट्स सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) को बताए गए डॉक्युमेंट्स में ऐसी कई बातों का जिक्र किया गया है। ये डॉक्युमेंट्स फेसबुक की पूर्व कर्मचारी और व्हिसलब्लोअर फ्रांसेस हौगेन के कानूनी सलाहकार द्वारा संशोधित रूप में अमेरिकी कांग्रेस को प्रदान किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि हेट स्पीच और भड़काने वाली ज्यादातर पोस्ट की थीम हिंसा के खतरों को बढ़ाने के आसपास केंद्रित थी। इसमें मायनॉरिटी ग्रुप को कोविड से जुड़ी गलत सूचनाओं में शामिल किया गया। वहीं, सांप्रदायिक हिंसा में मुसलमानों के शामिल होने की झूठी रिपोर्ट शामिल की गई। अमेरिकी कांग्रेस द्वारा प्राप्त संशोधित संस्करणों की समीक्षा द इंडियन एक्सप्रेस सहित वैश्विक समाचार संगठनों द्वारा की गई है।

असम सीएम भी अफवाह फैलाने में शामिल रहे

  • असम में विधानसभा चुनाव से पहले 2021 में एक इंटरनल रिपोर्ट में दावा किया कि मौजूदा असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा को भी फेसबुक पर भड़काऊ व अफवाहों को फैलाने के लिए चिह्नित (रेड फ्लैग) किया गया था। इसमें कहा गया था कि मुस्लिम असम के लोगों पर जैविक हमले की तैयारी कर रहे हैं। जिससे उनमें लिवर, किडनी और हृदय से संबंधित रोग पैदा हों।
  • द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा इस बारे में हेमंत बिस्वा सरमा से पूछे जाने पर कि नफरत से भरी पोस्ट में अपने ‘प्रशंसकों और समर्थकों’ की लिप्तता के बारे में जानते हैं? इस पर सरमा ने कहा, ‘मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी।’ वहीं उनसे जब सवाल किया गया कि क्या फेसबुक ने उनके पेज पर पोस्ट किए गए कंटेंट को चिह्नित करने के संबंध में संपर्क किया था। इस पर सरमा ने कहा, ‘मुझसे किसी प्रकार का कोई संपर्क नहीं किया गया था।’

भड़काऊ कंटेंट को फेसबुक ने आगे बढ़ाया
‘भारत में सांप्रदायिक संघर्ष’ शीर्षक की एक अन्य इंटरनल फेसबुक रिपोर्ट में कहा गया कि अंग्रेजी, बंगाली और हिंदी में भड़काऊ कंटेंट कई बार पोस्ट की गईं। विशेष रूप से दिसंबर 2019 और मार्च 2020 में इन्हें पोस्ट किया गया। ये नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध से मेल खाती हैं। डॉक्युमेंट्स से इस बात का भी पता चलता है कि प्लेटफॉर्म पर ऐसे कंटेंट की मौजूदगी के बावजूद फेसबुक की टीम न्यूजफीड पर इसे आगे बढ़ाने के लिए एल्गोरिदम तैयार कर रही थी।

RSS और बीजेपी ने ‘लव जिहाद’ को हैशटैग किया
2021 की एक अन्य फेसबुक इंटरनल रिपोर्ट के अनुसार, ‘इंडिया हार्मफुल नेटवर्क्स’ टाइटल से तृणमूल कांग्रेस से संबद्ध होने का दावा करने वाले ग्रुप ने ऐसा कंटेंट पोस्ट किया जो भड़काऊ था। दूसरी तरफ, इसी इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक, RSS और भाजपा से जुड़े ग्रुप्स के पोस्ट में ‘लव जिहाद’ को हैशटैग किया गया। पब्लिकली दिखाई देने वाले इस्लामोफोबिक कंटेंट के साथ बड़ी मात्रा में हैशटैग को जोड़ा गया। जब इस बारे में बीजेपी, RSS और TMC को सवाल भेजे गए, तो उस पर कोई जवाब नहीं मिला।

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