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Famous food joints in delhi ncr coconut and seviyan barfi in purani sabji mandi at bharat sweet bhandar rada

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Famous food joints in delhi ncr coconut and seviyan barfi in purani sabji mandi at bharat sweet bhandar rada

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Famous Food Joints In Delhi-NCR: जब भी हम किसी मिष्ठान्न (मिठाई) की बात करेंगे तो सबसे पहले हमें लड्डू या बर्फी का नाम ही स्मरण होगा. लड्डू की विशेषता यह है कि इसमें खोया या दूध का प्रयोग नहीं होता, लेकिन स्वाद में शानदार होते हैं. दूसरी ओर बर्फी का निर्माण ही खोया और दूध से होता है, तभी उसका स्वाद उभरता है और मन को भाता है. चूंकि खानपान का स्तर अब बढ़ने लगा है तो काजू की बर्फी (काजू-कतली) भी खूब रंग जमा रही है. इन सबके उलट आज हम आपको आज ऐसी बर्फियों का स्वाद चखा रहे हैं, जिसमें दूध-खोया तो डाला जाता ही है, लेकिन इनका स्वाद इनसे नहीं बल्कि दूसरी चीजों से बनता है. ये हैं नारियल से बनी कल कलरफुल बर्फी और बेसन की फीकी सेवियों से बनी स्वादिष्ट बर्फी. अब तो इस दुकान पर नई पीढ़ी ने और भी तरह की बर्फी इजाद कर दी है. इनका मजा भी जानदार है, क्योंकि ये मिष्ठान्न पाकिस्तान से ‘चलकर’ आए हैं.

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बर्फियों का स्वाद और खुशबू आप जुबान और दिमाग में महसूस कर सकते हैं
पुराने वक्त में पुराने घंटाघर (दिल्ली-7) में पहले सब्जी मंडी हुआ करती थी, जो उठकर अब आजादपुर में जा चुकी है. इसी इलाके के मेन बाजार में रामद्वारा मंदिर के पास बहुत ही पुरानी हलवाई की दुकान है, जिसे ‘भारत स्वीट भंडार’ के नाम से जाना जाता है. आप इस दुकान के पास से गुजरिए या खड़े हो जाइए, उड़ती खुशबू आपका मन मोह लेगी. इस नाम से दिल्ली में कई दुकानें हैं, लेकिन पुरानी दुकान यही है. हलवाई की दुकान पर जितनी भी मिठाई मिलनी चाहिए, सब यहां उपलब्ध हैं. लेकिन असली मजा तो यहां की नारियल व सेवियों की बर्फी का है. अलग ही स्वाद है इन दोनों का. खाते ही मुंह में इनका असली स्वाद भी उभरेगा, साथ में खुशबू भी जुबान और दिमाग में पसरती महसूस होगी. असल में यह दोनों बर्फियां ऐसी हैं जो पाकिस्तान में भी बनती थी और अब यहां भी बनाई जा रही हैं.

दूध-खोया व ड्राई फ्रूट्स के टुकड़े बर्फी के स्वाद को लाजवाब बनाते हैं
इनको बनाने का तरीका शानदार है. पहले दूध से खोया बनाया जाता है. अगर नारियल की बर्फी बनानी है तो खोया बनने के बाद उसमें नारियल का बुरादा डालकर उसे देसी घी और चीनी में पकाया जाता है. अच्छी तरह पक जाने के बाद इस स्टफ को चौकोर परात में बिछा दिया जाता है. ऊपर से कतरा हुआ ड्राई फ्रूट्स बिछा दिया जाता है. सेवियों की बर्फी में पहले देसी घी में बेसन की फीकी सेवियां तैयार की जाती हैं. फिर उन्हें भी इसी विधि से तैयार कर लिया जाता है. खदीरने पर परातों में पीस काटकर उसे फाइन कागज में लपेटकर दिया जाता है. खाइए और मेहमानों को भी खिलाइए. अब तो दुकान की नई पीढ़ी ने अन्नानास और घिये की बर्फी भी बनाना शुरू कर दी है. इनका स्वाद भी बेजोड़ है. कोई भी बर्फी लीजिए, सभी की कीमत 580 रुपये किलो है.

पाकिस्तान में 1885 से और दिल्ली में 1947 से चल रहा है जलवा
यह हलवाई की दुकान वर्ष बंटवारे के दौरान ही वर्ष 1947 में इलाके में शुरू हो गई थी, लेकिन इसका इतिहास और पुराना है. असल में वर्ष 1885 से यही हलवाई की दुकान पाकिस्तान के शक्कर सिंध इलाके में चल रही थी. बंटवारे के बाद यहां काम शुरू कर दिया गया. मिठाई का स्वाद कुछ अलग ही था, इसलिए यहां भी चल निकली. इन दोनों बर्फी को बनाने का श्रेय दालूमल को दिया जा सकता है.

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फिर उनके तीन बेटे आयल दास गुरनानी, जमनू मल और नंदलाल गुरनानी ने संभाला. तीसरी पीढ़ी के रूप में इस खानदानी काम से इनके लाडले मेघराज, पवन कुमार व दूनीचंद गुरनानी जुड़े. अब चौथी पीढ़ी के तौर पर राजेश कुमार इस पुरानी दुकान को संभाले हुए हैं. इस पीढ़ी की और भी दुकानें दिल्ली में खुली हुई हैं, लेकिन सबसे पुरानी और नामी दुकान यही है. सुबह 9 बजे दुकान खुल जाती है और रात नौ बजे तक रोशनी रहती है. कोई अवकाश नहीं है.

नजदीकी मेट्रो स्टेशन: पुल बंगश

Tags: Food, Lifestyle

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