Home Entertainment सिनेमा Happy Birthday first lady of Indian Cinema Devika Who appeared in controversy for 4 minutes long Kiss | जब हीरोइन बनना वेश्यावृत्ति से भी बुरा था, तब फिल्मों में आईं देविका, 1933 में 4 मिनट लंबे किस पर हुआ विवाद

Happy Birthday first lady of Indian Cinema Devika Who appeared in controversy for 4 minutes long Kiss | जब हीरोइन बनना वेश्यावृत्ति से भी बुरा था, तब फिल्मों में आईं देविका, 1933 में 4 मिनट लंबे किस पर हुआ विवाद

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Happy Birthday first lady of Indian Cinema Devika Who appeared in controversy for 4 minutes long Kiss | जब हीरोइन बनना वेश्यावृत्ति से भी बुरा था, तब फिल्मों में आईं देविका, 1933 में 4 मिनट लंबे किस पर हुआ विवाद

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2 घंटे पहले

भारतीय सिनेमा की पहली एक्ट्रेस देविका रानी की आज 114वीं बर्थ एनिवर्सरी हैं। देविका उस जमाने में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने वाली पहली एक्ट्रेस बनीं, जब औरतों का फिल्मों में काम करना वेश्यावृत्ति से भी गिरा हुआ काम माना जाता था। इसके बावजूद देविका ने समाज के खिलाफ जाते हुए, अपनी काबिलियत से कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं।

10 साल के एक्टिंग करियर में देविका ने खूब नाम कमाया। फिल्मों का सबसे बड़ा अवॉर्ड दादा साहेब फाल्के पाने वाली पहली कलाकार भी देविका ही थीं। उनकी निजी जिंदगी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी। पहली ही फिल्म में देविका ने 4 मिनट लंबा किसिंग सीन देकर हर तरफ हल्ला मचा दिया था।

रविंद्रनाथ टैगोर की रिश्तेदार थीं, 9 साल की उम्र में इंग्लैंड पढ़ने गईं

विशाखापट्टनम के पास स्थित वलतायर के बड़े जमींदार के घर जन्मीं देविका के पिता मद्रास प्रेसीडेंसी के पहले सर्जन थे। देविका की दादी सुकुमारी देवी, ठाकुर रविंद्रनाथ टैगोर की बहन थीं। पढ़े-लिखे परिवार से ताल्लुक रखने वालीं देविका को महज 9 साल की उम्र में इंग्लैंड के बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया। पढ़ाई पूरी कर देविका ने रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट, लंदन में दाखिला लिया। कई डिजाइनिंग कोर्स कर देविका ने 1927 में टेक्सटाइल डिजाइनिंग में जॉब शुरू की।

कैसे रखा फिल्म जगत में पहला कदम?
देविका रानी की मुलाकात 1928 में फिल्ममेकर हिमांशु राय से हुई। हिमांशु उस समय लंदन में अपनी फिल्म द थ्रो ऑफ डाइस की शूटिंग कर रहे थे। देविका के काम से इम्प्रेस होकर हिमांशु ने उन्हें अपना प्रोडक्शन हाउस जॉइन करने का प्रस्ताव दिया। देविका राजी हो गईं और उनके प्रोडक्शन के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग और आर्ट डायरेक्शन करने लगीं।

देविका रानी अपने जमाने की सबसे सुंदर महिलाओं में से एक मानी जाती थीं।

देविका रानी अपने जमाने की सबसे सुंदर महिलाओं में से एक मानी जाती थीं।

हिमांशु राय को दिल दे बैठीं थी देविका
साथ काम करते हुए देविका रानी और हिमांशु राय एक दूसरे को दिल दे बैठे। हिमांशु, देविका से 16 साल बड़े थे, लेकिन इसके बावजूद दोनों ने 1929 में शादी कर ली। शादी के बाद दोनों बर्लिन में रहने लगे, लेकिन जब भारत में फिल्में बनना शुरू हुईं तो दोनों भारत लौट आए।

कर्मा से बनीं भारत की पहली नायिका
हिमांशु राय ने भारत आकर कर्मा (1933) फिल्म बनाई। इस फिल्म में देविका रानी नायिका बनीं और हीरो बने हिमांशु। उस समय फिल्मों में काम करना महिलाओं के लिए इतना बुरा समझा जाता था कि नायिका के रोल भी आदमी ही काम किया करते थे। कर्मा फिल्म रिलीज हुई और देविका रानी स्टार बन गईं। उन्हें स्टार सितारा कहा जाने लगा।

जहां एक तरफ फिल्म को पसंद किया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ फिल्म में दिखाए गए 4 मिनट के किसिंग सीन को लेकर कई विवाद भी खड़े हुए। ये सीन देविका और हिमांशु के बीच ही फिल्माया गया था। विवादों के बावजूद देविका के कदम नहीं डगमगाए और उन्होंने फर्स्ट लेडी ऑफ इंडियन सिनेमा बनकर इतिहास रच दिया।

शादीशुदा होने के बावजूद को-स्टार को दिल दे बैठीं देविका
साल 1934 में देविका और हिमांशु ने बॉम्बे टॉकीज की स्थापना की। ये इंडस्ट्री का सबसे बड़ा फिल्म स्टूडियो था। जवानी की हवा (1935) के बाद हिमांशु ने देविका रानी और नज्म-उल-हसन को लेकर दूसरी फिल्म जीवन नैया शुरू की। लेकिन, जैसे ही देविका और नज्म के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं तो हिमांशु ने फिल्म रोक दी। देविका, नज्म के साथ चली गईं। फिल्म रुकने से पैसे डूब गए। कर्जदार पैसे लेने के लिए खड़े थे।

आखिरकार शशधर मुखर्जी, जो उस समय प्रोडक्शन हाउस के साउंड इंजीनियर थे, ने देविका को समझाया और सुलह करने के लिए वापस बुला लिया। देविका, शशधर को भाई मानती थीं, तो बात काट नहीं सकीं। उस समय तलाक को कानूनी दर्जा नहीं मिला था और पति को छोड़कर अलग रहने वाली महिलाओं को ठीक नहीं समझा जाता था।

एक फिल्म में अशोक कुमार के साथ देविका रानी।

एक फिल्म में अशोक कुमार के साथ देविका रानी।

पति के पास लौटने के लिए रखी खास शर्त
हिमांशु के पास लौटने के लिए देविका ने शर्त रखी कि उन्हें हर फिल्म में काम करने के लिए फीस मिलेगी, लेकिन घर का पूरा खर्च अकेले हिमांशु उठाएंगे। बॉम्बे टॉकीज दिवालिया होने के कगार पर था। फिल्म रुकने से कर्ज में डूबे हिमांशु देविका की सारी शर्तें मान गए। समाज को दिखाने के लिए दोनों साथ तो रहे, लेकिन दोनों के बीच काम के अलावा कोई रिश्ता नहीं बचा था।

जीवन नैया में नज्म-उल-हसन को हटाकर अशोक कुमार को लिया गया और फिल्म पूरी हुई। देविका-अशोक कुमार की जोड़ी दूसरी बार अछूत कन्या में साथ दिखी। ये फिल्म हिंदी सिनेमा के लिए लैंडमार्क साबित हुई। अछूत कन्या को ही भारत में छुआछूत के खिलाफ आंदोलन की जमीन तैयार करने वाली फिल्म माना जाता है। तीसरी बार दोनों जीवन प्रभात में साथ आए, जिसमें अशोक कुमार से ज्यादा देविका को तारीफें मिलीं।

साल 1949 में हिमांशु राय के निधन के बाद देविका ने बॉम्बे टॉकीज की जिम्मेदारी शशधर मुखर्जी के साथ मिलकर संभाल ली। इसके बाद उन्होंने अनजान, किस्मत जैसी हिट फिल्में प्रोड्यूस कीं।

दिलीप कुमार को यह नाम देविका रानी ने ही दिया था।

दिलीप कुमार को यह नाम देविका रानी ने ही दिया था।

दिलीप कुमार को दिलाई इंडस्ट्री में जगह
साल 1944 में देविका रानी ने बॉम्बे टॉकीज में काम करने वाले दिलीप कुमार को ज्वार भाटा फिल्म में काम दिया। वो देविका ही थीं, जिन्होंने युसुफ खान को दिलीप कुमार नाम दिया। कुछ ही सालों में अशोक कुमार और शशधर मुखर्जी ने देविका से अलग होकर अपना नया प्रोडक्शन हाउस फिल्मिस्तान बना लिया। इंडस्ट्री का सपोर्ट न मिलने पर देविका ने फिल्में बनाना ही छोड़ दिया।

दूसरी शादी कर चली गईं इंडस्ट्री से दूर
इंडस्ट्री छोड़ने के बाद देविका ने रशियन पेंटर स्वेतोस्लाव रोरिच से शादी कर ली। दोनों मनाली में आम जिंदगी जीने लगे। साल 1958 में देविका को पद्मश्री सम्मान मिला। 1969 में देविका दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। अपने दूसरे पति रोरिच की मौत के एक साल बाद 7 मार्च 1998 में देविका का भी निधन हो गया।

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