Home Entertainment सिनेमा Heera Mandi of Lahore, Pakistan, where the tawaifs’ ghungharos once resonated, now only dholaks and guitars are sold there. | पाकिस्तान के लाहौर की हीरा मंडी, जहां कभी दिन-रात गूंजते थे तवायफों के घुंघरू, वहां सारे कोठे उजड़े; अब सिर्फ ढोलक-गिटार की दुकानें

Heera Mandi of Lahore, Pakistan, where the tawaifs’ ghungharos once resonated, now only dholaks and guitars are sold there. | पाकिस्तान के लाहौर की हीरा मंडी, जहां कभी दिन-रात गूंजते थे तवायफों के घुंघरू, वहां सारे कोठे उजड़े; अब सिर्फ ढोलक-गिटार की दुकानें

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Heera Mandi of Lahore, Pakistan, where the tawaifs’ ghungharos once resonated, now only dholaks and guitars are sold there. | पाकिस्तान के लाहौर की हीरा मंडी, जहां कभी दिन-रात गूंजते थे तवायफों के घुंघरू, वहां सारे कोठे उजड़े; अब सिर्फ ढोलक-गिटार की दुकानें

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मुंबई37 मिनट पहलेलेखक: मनीषा भल्ला

  • लाहौर के लोगों को उम्मीद-भंसाली की वेब सीरीज के बाद टूरिज्म बढ़ेगा
  • हीरा मंडी की तवायफों ने दुबई जाकर बना लिए अपने म्यूजिकल ग्रुप

जाने-माने फिल्म प्रोड्यूसर-डायरेक्टर संजय लीला भंसाली OTT प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स के लिए वेब सीरीज ‘हीरा मंडी’ बना रहे हैं। ये सीरीज तवायफों की जिंदगी पर है जो विभाजन से पहले लाहौर की हीरा मंडी में रहती थीं। सीरीज की शूटिंग अभी शुरू नहीं हुई है, लेकिन इसकी चर्चा पाकिस्तान में भी है। हम आज पाकिस्तान के लाहौर की उसी हीरा मंडी की गलियों से उसकी कहानी लेकर आए हैं।

पढ़िए…हकीकत में लाहौर की वो हीरा मंडी कैसी थी और आज किस हाल में है…

लाहौर का हीरा मंडी इलाका एक समय तवायफों के घुंघरुओं की खनक से गूंजता रहता था, लेकिन आज संगीत के नाम पर यहां सिर्फ ढोलक और गिटार की दुकानें हैं। यहां के लोग उम्मीद पाले बैठे हैं कि जब नेटफ्लिक्स पर भंसाली की सीरीज ‘हीरा मंडी’ आएगी तो यहां टूरिज्म बढ़ेगा, जिससे उनका बिजनेस फिर संवर जाएगा।

हीरा मंडी लाहौर की पुरानी तंग गलियों के बीच बसी है। ऐसा कहा जाता है कि महाराजा रणजीत सिंह के मुंहबोले बेटे हीरा सिंह की हवेली इस इलाके में थी। वहीं से नाम आया हीरा मंडी। हालांकि इस बात का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है।

हीरा मंडी में अब तवायफों के कोठे नहीं बचे। बस म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स की दुकानें हैं जहां गिटार-ढोलक वगैरह बिकते हैं।

हीरा मंडी में अब तवायफों के कोठे नहीं बचे। बस म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स की दुकानें हैं जहां गिटार-ढोलक वगैरह बिकते हैं।

बाजार-ए-हुस्न और शाही मोहल्ला भी है नाम

इस इलाके का एक नाम ‘टकसाली’ भी है। इसे ‘बाजार-ए-हुस्न’ भी कहते हैं। मुगल दौर में यहां राजाओं की कनीज (दासी) और मुलाजिम रहा करते थे। इसलिए इसे ‘शाही मोहल्ला’ भी कहते थे। बड़े घरों के लोग यहां अपने बच्चों को संगीत सीखने भेजा करते थे। यह नृत्य कला और संगीत का गढ़ हुआ करता था।

मुगल कनेक्शन भी

इस इलाके का मुगल कनेक्शन भी है। लाहौर के 12 दरवाजों में से एक दरवाजा जिसे रौशनाई दरवाजा कहते हैं, वह हीरा मंडी से लगा हुआ है। यहां एक तरफ बादशाही मस्जिद है, जो औरंगजेब ने बनवाई थी। दूसरी ओर एक किला है जिसे अकबर ने तामीर कराया था। यह आज लाहौर का प्रमुख टूरिस्ट प्लेस है।

मशहूर थे तवायफों की खूबसूरती के किस्से

हीरा मंडी पर डॉक्युमेंट्री बना चुके पाकिस्तानी लेखक इबादुक हक ने बताया कि इस इलाके की एक लंबी गली में लगभग 50 घर थे जो सदियों से नाच-गाने, साज और घुंघरुओं की खनक से आबाद रहा करते थे। यहां की तवायफों की खूबसूरती के किस्से मशहूर थे। अब मेरे जैसे कई लोगों को भंसाली की वेब सीरीज का इंतजार है। हीरा मंडी में आए दिन इस सीरीज की बातें सुनी जा सकती हैं।

कुछ का सवाल है कि संजय लीला भंसाली आखिर हीरा मंडी को किस तरह पेश करेंगे, लेकिन ज्यादातर लोग खुश हैं कि यहां का इतिहास फिर जिंदा हो जाएगा। व्यापारियों को उम्मीद है कि वेब सीरीज से यह इलाका फिर मशहूर हो जाएगा तो ज्यादा टूरिस्ट आएंगे और उनका बिजनेस फिर रफ्तार पकड़ लेगा।

लाहौर की हीरा मंडी की वो गली जहां कभी घुंघरुओं की आवाजों से पूरा इलाका गूंजता था।

लाहौर की हीरा मंडी की वो गली जहां कभी घुंघरुओं की आवाजों से पूरा इलाका गूंजता था।

लाहौर का चुंबक थी हीरा मंडी

पाकिस्तान के लेखक रिफत ओरकाजी बताते हैं कि अभी 80-90 के दशक तक इस जगह का एक अपना चुंबकीय आकर्षण था। लाहौर आने वाला कोई भी नौजवान यहां खिंचा चला आता था। युवाओं के लिए मुजरे, सेक्स और खवातिनों (महिलाओं) के इतने करीब जाने के लिए हीरा मंडी एक मुफीद जगह होती थी।

यहां रहने वाली खानदानी पेशेवर तवायफें थीं। ज्यादातर मुजरा करती थीं, लेकिन कुछ जिस्मफरोशी में भी थीं। मुजरा करने वाली तवायफें खुद को जिस्मफरोशी करने वाली तवायफों से आला दर्जे की मानती थी।

हीरा मंडी ने पाकिस्तानी सिनेमा को कुछ मशहूर अदाकाराएं भी दीं। फिरदौस बेगम, नादिरा बेगम और अंजुमन बेगम जैसी एक्ट्रेसेस भी वहीं से निकली थीं।

हीरा मंडी ने पाकिस्तानी सिनेमा को कुछ मशहूर अदाकाराएं भी दीं। फिरदौस बेगम, नादिरा बेगम और अंजुमन बेगम जैसी एक्ट्रेसेस भी वहीं से निकली थीं।

हीरा मंडी से मशहूर हुईं पाक सिनेमा की कुछ एक्ट्रेसेस

संजय लीला भंसाली की ‘हीरा मंडी’ में कौन-कौन सी हीरोइन काम कर रही हैं, यह चर्चा बार-बार होती है। एक दिलचस्प बात यह है कि ओरिजिनल हीरा मंडी से पाकिस्तान सिने उद्योग को कई मशहूर हीरोइन मिल चुकी हैं। बाबरा शरीफ आलिया, फिरदौस बेगम, नादिरा बेगम, नीली, अंजुमन बेगम यहां से फिल्म उद्योग में आई थीं। अझारा जहां, साएमा जहां, माला और शामीन बेगम जैसी गायिकाएं भी यहीं की देन हैं।

बम ब्लास्ट ने उजाड़ दी हीरा मंडी

90 के दशक के बाद हीरा मंडी की नींव से ईंटे दरकती ही चली गईं। 2010 में यहां तरन्नुम सिनेमा के आसपास दो बम धमाके हुए। इसके बाद डर फैल गया। जो थोड़ा बहुत नाच-गाना और प्रॉस्टिट्यूशन चलता था, वह भी बंद हो गया।

कुछ तवायफों ने दुबई में बनाया म्यूजिकल ग्रुप

पाकिस्तानी लेखिका नीलम अहमद बशीर बताती हैं कि कोठे सुनसान हो गए और वहां की रौनकें खत्म हो गईं। यहां की कुछ तवायफों ने दुबई जैसे शहरों में म्यूजिकल ग्रुप बना लिया है। तरन्नुम सिनेमा की बिल्डिंग को गिरा के अब मार्केट बन गया है, यहां जूतों का रॉ मटेरियल मिलता है। इसके अलावा यहां ढोलक और गिटार की भी दुकानें हैं। यह शाही इलाका खाने-पीने के शौकीन लोगों का अड्डा भी है। नीलम अहमद बशीर के अनुसार शहर के पारंपरिक स्वाद के शौकीन यहां खाने-पीने आते हैं।

वेब सीरीज में होगी बंटवारे से पहले की हीरा मंडी

नेटफ्लिक्स के सूत्र कहते हैं कि भंसाली बंटवारे से पहले की कहानी बताएंगे। हीरा मंडी के ओरिजिनल म्यूजिक कल्चर पर ही फोकस होगा। भंसाली की इच्छा थी कि सीरीज चंद्रप्रकाश द्विवेदी डायरेक्ट करें, लेकिन अब भंसाली पहला एपिसोड खुद डायरेक्ट करेंगे। बाकी के एपिसोड में डायरेक्शन की कमान विभु पुरी संभालेंगे।

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