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Men and women should do these work on the new year change the thinking of the society pur

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Men and women should do these work on the new year change the thinking of the society pur

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कुछ काम जन्म लेते ही तय कर दिए जाते हैं. ये काम जेंडर (Gender) के हिसाब से बांटे जाते हैं. समाज ही ये तय कर देता है कि कौन से काम पुरुष को करने चाहिए और कौन से महिलाओं को. जैसे जैसे उम्र बढ़ती जाती है तो समाज इसकी एक अलग तस्वीर बनाने लगता है जैसे कि पुरुष और महिलाओं को एक दूसरे से अलग रहना चाहिए, उनके व्यवहार में अलग ढंग दिखना चाहिए, उनके ड्रेसिंग स्टाइल (Dressing Style) अलग होने चाहिए, उनकी जिम्मेदारियों भी अलग होनी चाहिए, उनके हाव-भाव भी अलग नजर आने चाहिए. अब सोचने वाली बात है कि आखिर एक तरह के जेंडर को तय पैमाने में क्यों देखा जाता है. हालांकि समाज द्वारा तय किए गए नियमों को लोग मानते हैं और स्वीकार भी करते हैं. आइए आपको बताते हैं कि क्या हैं जेंडर रोल्स से जुड़ी आम धारणाएं और कैसे समय के साथ इन नियमों में बदलाव आया है. अब नए साल पर समाज की सोच को बदलते हुए पुरुषों और महिलाओं को ये काम करने चाहिए.

खुद के लिए कपड़े पहनें, लोगों को खुश करने के लिए नहीं
पहले अगर कोई पुरुष लड़कियों जैसे कपड़े पहन लेता था तो उसे अलग नजर से देखा जाता था, पर अब ये फैशन स्टेटमेंट बन गया है. पुरुषों द्वारा मेकअप इस्तेमाल करना पहले अच्छा नहीं माना जाता था, लेकिन अब कई तरह के मेकअप प्रोडक्ट्स पुरुष भी इस्तेमाल करते हैं. वहीं महिलाएं जो पहले सिर्फ ड्रेस और स्कर्ट तक ही सीमित थीं वह अब ढीली पैंट और हुड वाले पुलओवर भी पहनने लगी हैं. यहां तक कि वह लड़कों की तरह कोट पैंट और जैकेट्स भी कैरी करती हैं.

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कोई भी पैसे कमा सकता है
ऐसे पिता जो बच्चों की देखभाल करते हैं और घर का काम भी करते हैं उनकी संख्या अब मां की तुलना में बढ़ती जा रही है. पहले यही माना जाता था कि महिलाएं घर के काम-काज और बच्चों को संभालने का काम करेंगी लेकिन अब समय बदल गया है. अब महिला और पुरुष दोनों ही पैसे कमाने के लिए घर के बाहर जाते हैं और वहीं पुरुष भी घर के कामों में महिलाओं का हाथ बंटाते हैं.

आपकी भावनाएं सिर्फ आपकी नहीं हैं
पहले ये समझा जाता था कि पुरुष ताकतवार होते हैं. उनसे हमेशा हिम्मत दिखाने की उम्मीद की जाती थी. उन्हें किसी भी मोड़ पर कमजोर नहीं पड़ना होता था लेकिन अब भावुक या कमजोर पुरुष अलग नहीं समझे जाते. साथ ही इसमें कोई गलत बात नहीं है कि कोई महिला किसी बड़ी परेशानी को अकेले ही हल कर ले या फिर पुरुष दुखी होने पर रो नहीं सकता.

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एडवेंचर और शौक सब के लिए हैं
आज महिलाएं भी भारी सामान उठा सकती हैं और वहीं पुरुष भी कुछ नया डिजाइन कर सकते हैं या फिर घर को सजा सकते हैं. आज के समय में जो पुरुष जिम में वर्कआउट करने की जगह घर पर योग करना पसंद करते हैं उन्हें कमजोर नहीं समझा जाता. महिलाओं को तेज गाड़ी चलाने के लिए किसी महाशक्ति की जरूरत नहीं होती. वह कोई भी काम आसानी से कर सकती है. यहां तक कि रेसर कार या स्पोर्टेस बाइक तक चला सकती हैं.

Tags: Lifestyle, Relationship

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