Home स्वास्थ्य Shani Vakri Gochar kumbh rashi saturn retrograde in Aquarius shani ki ulti chaal 5 जून को बदल गई शनि की चाल, जानिए उल्टी चाल का आप पर क्या पड़ेगा प्रभाव

Shani Vakri Gochar kumbh rashi saturn retrograde in Aquarius shani ki ulti chaal 5 जून को बदल गई शनि की चाल, जानिए उल्टी चाल का आप पर क्या पड़ेगा प्रभाव

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Shani Vakri Gochar kumbh rashi saturn retrograde in Aquarius shani ki ulti chaal 5 जून को बदल गई शनि की चाल, जानिए उल्टी चाल का आप पर क्या पड़ेगा प्रभाव

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Shani Vakri Gochar- India TV Hindi
Image Source : PIXABAY
Shani Vakri Gochar

Highlights

  • 5 जून को शनि ग्रह अपनी मार्गी गति से वक्री गति में आ चुके हैं।
  • कर्क, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों के लिए शनि की इस वक्री गति से विशेष बचाव रखना चाहिए।
  • मेष, कन्या और धनु राशि के जातक शनि की वक्री गति से लाभान्वित रहेंगे।

Shani Vakri Gochar: शनि हमारे सौरमंडल का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह। महत्वपूर्ण होने का कारण भी है, क्योंकि यह सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। इसकी गति इस ग्रह की महत्ता को और भी बढ़ा देती है, और इस ग्रह का हर एक बदलाव आम जनमानस से लेकर विश्व के मानचित्र पर अपना प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से छोड़ती है। शनि ग्रह के इसी बदलाव के क्रम में 5 जून को एक बड़ा बदलाव दृष्टिगोचर हुआ, और यह बदलाव इस ग्रह की गति को लेकर है, यानी 5 जून को शनि ग्रह अपनी मार्गी गति से वक्री गति में आ चुके हैं। यहां एक बात स्पष्ट कर देना जरूरी है, कोई भी ग्रह की गति अथवा चाल दो प्रकार की होती है – 1. मार्गी 2. वक्री। मार्गी यानी सीधा और वक्री यानी उल्टा। उल्टा का मतलब यहां यह कतई नहीं समझना चाहिए कि ग्रह पीछे की ओर चलने लगा। वस्तुतः पृथ्वी के सापेक्ष उस ग्रह की गति के अंतर के कारण यह ऐसा प्रतीत होता है, और इसे ही ग्रहों का वक्री होना बोलते हैं।

5 जून को शनि ग्रह इसी प्रकार कुंभ राशि में 141 दिनों के लिए वक्री हो चुके हैं। शनि का यह वक्री गति में भ्रमण करना कई महत्वपूर्ण प्रभाव आम जनमानस पर डालेगा। ज्योतिषी पिनाकी मिश्रा से जानते हैं-

  1.  शनि की यह वक्री गति उनलोगों को विशेष रूप से प्रभावित करेगा जो शनि की साढ़ेसाती अथवा शनि की ढैया से गुजर रहे हैं। इनलोगों को अनायास कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आर्थिक समस्याएं अचानक से विकराल रूप धारण कर सकती हैं, और अज्ञात भय की प्रबलता से मन अशांत रह सकता है।
  2. शनि की वक्री गति का प्रतिकूल प्रभाव उनलोगों पर भी पड़ेगा जो शनि की महादशा अथवा अंतर्दशा से गुजर रहे हैं, और शनि जिनकी जन्मकुंडली में पीड़ित है।
  3. ऐसे लोगों के बने बनाए काम बिल्कुल अंत समय में हाथ से निकल सकते हैं।पारिवारिक जीवन में अनावश्यक कलह से जातक का मन अशांत हो सकता है।
  4. जिन लोगों की जन्मकुंडली में शनि लग्न अथवा सप्तम  भाव मे बैठा हो, उनलोगों पर भी शनि की यह वक्र गति प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। विवाह में विलंब और वैवाहिक जीवन में कलह इसके प्रमुख प्रभाव माने जाएंगे।
  5. शनि ग्रह को चूंकि रत्नगर्भा की संज्ञा दी गई है। अतः जमीन से नीचे यानी कि माइन्स से जुड़े लोगों को अनायास कुछ समय के लिए अपने काम में अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है।
  6. कुल मिलाकर कर्क, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों के लिए शनि की इस वक्री गति से विशेष बचाव रखना चाहिए। इन राशि वाले जातकों को चाहिए कि इस अवधि में अनावश्यक तर्क-वितर्क से बचें एवं किसी भी तरह का नया आर्थिक निर्णय न लें।
  7. सिर्फ मेष, कन्या और धनु राशि के जातक ही शनि की वक्री गति से लाभान्वित रहेंगे, वो भी तब जब शनि उनकी जन्मकुंडली में पीड़ित न हों।

ज्योतिषी पिनाकी मिश्रा

(डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता। )

 

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