हाइलाइट्स
समुद्र किनारे उगने वाला नारियल स्वाद में मिठास लिए होता है.
धार्मिक कार्यों में भी श्रीफल यानी नारियल का विशेष महत्व है.
इम्यूनिटी बढ़ाकर मोटापा कम करने में भी मददगार है नारियल.
Swad Ka Safarnama: हिंदू धर्म में नारियल का बेहद महत्व माना जाता है. इसे श्रीफल भी कहा जाता है. शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) में माता पूजन के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है. बेहद रोचक फल है नारियल. ये खारे समुद्र के किनारे उगता है लेकिन स्वाद में अलग प्रकार की मिठास लिए हुए है. यह फल ‘सर्वगुण संपन्न’ भी है. इसके पेड़ के भी कई उपयोग हैं. नारियल में जितने गुण हैं, उतने शायद और किसी फल में नजर आएं. भारत सहित कई देशों में यह फल धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से ‘गर्भनाल’ जैसा जुड़ा हुआ है. नारियल की उत्पत्ति ‘हरि अनंत-हरि कथा अनंता’ समान है. हजारो वर्षों से यह मनुष्य के साथ जुड़ा हुआ है. अगर मिथकों (Mythology) और कथाओं की मानें तो यह देवताओं के ‘संपर्क’ में भी रहा.
नवरात्रि, पूजा-पाठ इसके बिना पूरी नहीं मानी जाती
इस वर्ष 26 सितंबर से नवरात्रि शुरू हो गई है. यह ऐसा पर्व है कि भारत में तो इसे धूमधाम से मनाया ही जाता है, विदेश में बसे भारतीय भी पूरी श्रद्धा से मनाते हैं. नौ दिन के इस पर्व में रोज के अनुष्ठान बिना नारियल के नहीं होते. बात यहीं तक खत्म नहीं होती. भारत में यह फल अनादि काल से पूजा-पाठ, यज्ञ-अनुष्ठान, विधि-विधान सहित सभी प्रकार के धार्मिक कार्यों में पूजा जाता है. यह आस्था और विश्वास से जुड़ा हुआ ‘श्रीफल’ है. लोगों की इस फल में इतनी अगाध श्रद्धा है कि यह ‘आस्था चिन्ह’ बन चुका है और किसी भी पूजा या अनुष्ठान का प्रारंभ कलश के ऊपर रखकर नारियल रखकर ही होता है.
धार्मिक कार्यों में उपयोग किया जाने वाला नारियल श्रीफल भी कहलाता है.
हिंदू धर्म के साथ जोड़कर इस फल की ‘व्याख्या’ करेंगे तो सब ‘धरती कागद करुं, लेखनी सब बनराय…’ समान इसके ‘गुणों’ का वर्णन नहीं हो पाएगा, क्योंकि पुराणों, रामायण, महाभारत से लेकर भारत के अनेक प्राचीन ग्रंथों में इसकी महिमा है. हिंदू धर्म से जुड़े सभी देवी-देवताओं से नारियल का जुड़ाव है. एक उदाहरण काफी है कि शास्त्रों के अनुसार जब भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार तब वह अपने साथ देवी लक्ष्मी, कामधेनु और नारियल के वृक्ष को साथ लाए थे. इसलिए इसे श्रीफल भी कहा जाता है.
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इस वजह से सर्वगुण संपन्न माना जाता है नारियल
अब नारियल की कुछ ‘जमीनी’ व्याख्या कर ली जाएं. एक जानकारी के अनुसार यह 80 देशों में पैदा होता है और इसकी 150 से अधिक प्रजातियां हैं. विश्व का 90 प्रतिशत नारियल का उत्पादन एशिया के विकासशील देशों में होता है. नारियल को हरफनमौला इसलिए कहा जाता है, क्योंकि आहार के रूप में इसके गूदे, दूध, तेल और पानी से कई प्रकार के मीठे-तीखे-नमकीन स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जा सकते हैं. कच्चे रूप में इसका सेवन कर लो, पकाकर भी करने में स्वाद कायम रहता है. इसके अलावा नारियल का स्वास्थ्य, औषधीय और कॉस्मेटिक मूल्य भी है. इसका पेड़ भी बहुत काम का है. इसके तने से घर बनाया जाता है, पत्तियों-छाल से छत और मजबूत रस्सी भी बनाई जा सकती है. नारियल का खोल और जटाएं बेहद शक्तिशाली जलावन का काम करती है.
आप हैरान हो सकते हैं कि आज भी फिल्म आदि में घोड़ों की असली टाप (चलने या दौड़ने पर पैदा होने वाली आवाज) निकालने के लिए नारियल के खोल का प्रयोग किया जाता है. इसीलिए नारियल के पेड़ को ट्री ऑफ लाइफ (Tree Of Life) और ट्री ऑफ हेवन (Tree Of Heaven) भी कहा जाता है.
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पृथ्वी पर कब आया? रोचक है मसला
नारियल का अवतरण पृथ्वी पर कब हुआ? बस यही कहा जा सकता है कि जब से जमीन पर समुद्र है, तभी से नारियल का अस्तित्व है. बात इस पर हो सकती है कि किस क्षेत्र में यह सबसे पहले उगा. इसको लेकर दो-तीन मत उभरकर आए हैं, उनमें से इस बात की पुष्टि अधिक प्रगाढ़ मानी जाती है कि नारियल सबसे पहले भारतीय उपमहाद्वीप में उगा. फूड हिस्ट्री पर कई पुस्तकें लिखने वाले भारतीय फूड साइंटिस्ट व फूड हिस्टोरियन केटी आचाय (KT Achaya) का कहना है कि नारियल की उत्पत्ति करीब 2 करोड़ वर्ष पूर्व सबसे पहले पापुआ न्यू गिनी में हुई. एक मत यह भी है कि प्रशांत महासागर के कोकोस द्वीप से नारियल पैदा हुआ और समुद्र में बहकर भारतीय समुद्र तट पर पहुंचा और फला-फूला.
नारियल में एंटी-वायरल, एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-पैरासिटिक गुण पाए जाते हैं.
दूसरी ओर वर्ष 2011 में नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार उसके लिखित आनुवंशिक परीक्षण से पता चला कि नारियल भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में उत्पन्न हुआ था. विश्कोष ब्रिटानिका (Britannica) के अनुसार नारियल की उत्पत्ति संभवत: इंडो-मलाया में कहीं हुई थी और यह उष्ण कटिबंध क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है. एक मत का यह भी कहना है कि नारियल की उत्पत्ति नॉर्थ-एंडीज में हुई है. लब्बोलुआब यह है कि नारियल की उत्पत्ति के दो प्रामाणिक रूप से दो क्षेत्रों को माना जा सकता है, एक हिंद महासागर बेसिन और दूसरा प्रशांत बेसिन. यहीं से यह पूरे विश्व में पुष्पित व पल्लवित हुआ.
पोषक तत्वों की बात करें तो नारियल जैसा कोई नहीं
पोषक तत्वों और स्वास्थ्य को लेकर बात की जाए तो नारियल जैसा ‘कोई नहीं’ है. शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले जितने भी तत्व, वायरस, जीवाणु आदि हैं, उनका विरोध करने की क्षमता गुणकारी नारियल में है. फूड एक्सपर्ट कहते हैं कि नारियल में विभिन्न रूपों में एंटी-वायरल, एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-पैरासिटिक गुण पाए जाते हैं. अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) के अनुसार एक ताजे नारियल में अनुमानित तौर पर 159 कैलोरी, 1.5 ग्राम प्रोटीन, 6.8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 15.1 ग्राम फेट, 45 ग्राम फाइबर, सोडियम 9 मिलीग्राम, शक्कर 2.8 एमजी, पोटेशियम 160 एमजी व अन्य तत्व पाए जाते हैं. जानी मानी आयुर्वेदाचार्य व असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वीना शर्मा के अनुसार नारियल में पाए जाने वाला लॉरिक एसिड शरीर के सारे एंटी तत्वों का तोड़ है. इसीलिए यह फल विलक्षण है.
नारियल में चमत्कारिक रूप से शरीर के फैट को भी कंट्रोल करने के गुण हैं.
भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में नारियल (नारिकेल) को पौष्टिक, स्निग्ध, शीतल, बलशाली और मधुर बताया गया है. अन्य ग्रंथ ‘सुश्रुतसंहिता’ में भी इसकी इन्हीं विशेषताओं के साथ इसे पित्तनाशक, बलप्रद, हृदय के लिए प्रिय और देहवर्धक बताया गया है.
मोटापे को कंट्रोल कर सकता है नारियल तेल
नारियल में कई प्रकार के विटामिन्स भी पाए जाते हैं तो इसमें पाए जाने वाला तेल गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सुधारता है. यह ऑयल ब्लड सर्कुलेशन को बाधित नहीं करता है, इसलिए हृदय के लिए भी लाभकारी है. यह किसी भी प्रकार के संक्रमण को कम कर सकता है साथ ही शरीर की प्रतिरोधी क्षमता में भी इजाफा करता है. इसमें चमत्कारिक रूप से शरीर के फैट को भी कंट्रोल करने के गुण हैं. नारियल का सेवन एल्जाइमर रोग (भूलने की बीमारी) के खतरे को भी कम करता है. इसमें पाए जाने वाले अवयव दिमागी तनाव को कम करते हैं. नारियल के तेल का सेवन पाचन सिस्टम को भी दुरुस्त बनाए रखता है, जिससे बुढ़ापा शरीर में देर से दस्तक देता है. नारियल के नियमित सेवन से किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं है, लेकिन कभी-कभी इसके सेवन से एलर्जी की आशंका हो सकती है. लेकिन यह व्यक्ति विशेष के स्वास्थ्य और उसके शरीर सिस्टम पर निर्भर है. इसके तेल के किसी दवा के साथ रिएक्शन की सूचना भी नहीं है.
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FIRST PUBLISHED : September 28, 2022, 09:16 IST