Home Entertainment सिनेमा Netflix invests Rs 3000 crore in 3 years in India, dubbing facility in 30 languages, opens a big market for regional films | नेटफ्लिक्स ने 3 साल में 3000 करोड़ रुपए इन्वेस्ट किए भारत में, 30 भाषाओं में डबिंग की सुविधा, रीजनल फिल्मों के लिए बड़ा मार्केट खुला

Netflix invests Rs 3000 crore in 3 years in India, dubbing facility in 30 languages, opens a big market for regional films | नेटफ्लिक्स ने 3 साल में 3000 करोड़ रुपए इन्वेस्ट किए भारत में, 30 भाषाओं में डबिंग की सुविधा, रीजनल फिल्मों के लिए बड़ा मार्केट खुला

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Netflix invests Rs 3000 crore in 3 years in India, dubbing facility in 30 languages, opens a big market for regional films | नेटफ्लिक्स ने 3 साल में 3000 करोड़ रुपए इन्वेस्ट किए भारत में, 30 भाषाओं में डबिंग की सुविधा, रीजनल फिल्मों के लिए बड़ा मार्केट खुला

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मुंबईएक घंटा पहलेलेखक: हिरेन अंतानी

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  • नस्लवाद, इमीग्रेंट क्राइसिस जैसे मुद्दे और फॉरेन स्टार्स की मौजूदगी ने ‘जगमे थंडीराम’ को दिलाया ग्लोबल ऑडियंस

ओटीटी की वजह से फिल्मों के टारगेट ऑडियंस की पुरानी परिभाषा बदल रही है। पहले एक भाषा में फिल्म बनती थी और वह उसी भाषा में थिएटर में रिलीज हो जाती थी। इसके बाद मल्टीलैंग्वेज फिल्मों का दौर भी शुरू हुआ, जब फिल्में एक से ज्यादा भारतीय भाषाओं में बन रही हैं।

अब ओटीटी के सहारे भारतीय रीजनल फिल्में अंग्रेजी के अलावा और वैश्विक भाषाओं में भी डब होकर दुनियाभर के दर्शकों तक पहुंच रही हैं। ग्लोबल अपील करने वाले कंटेंट और ट्रीटमेंट के सहारे भारती फिल्म मेकर्स इस बाजार का फायदा ले सकते हैं।

इसका सबसे ताजा उदाहरण है, साउथ के सुपरस्टार धनुष की फिल्म जगमे थंडीराम। इस फिल्म को एक नए ट्रेंडसेटर के तौर पर देखा जा रहा है। नेटफ्लिक्स पर आई ये फिल्म कई दूसरी भाषाओं में डब की गई। यूरोप और अफ्रीका के देशों में भी खूब देखी और सराही गई।

ओवरसीज मार्केट बहुत बड़ा
हिंदी, तमिल, मलयालम समेत भारतीय भाषाओं की फिल्मों के लिए ओवरसीज मार्केट बहुत बड़ा है। ओवरसीज रिलीज में टारगेट ऑडियंस सिर्फ विदेश में बसने वाले भारतीय ही होते हैं। जैसे, हिंदी फिल्में अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक खूब चलती हैं। वैसे ही मलयालम फिल्म यूएई में, तमिल फिल्म सिंगापुर में अक्सर हिट होती हैं।

मगर, ओटीटी ने इसके आगे की संभावना पैदा की है। भारत की हिंदी और दूसरी भाषाओं की फिल्में अंग्रेजी के अलावा फ्रेंच, स्पेनिश, पुर्तगाली, तुर्कीश, कोरियन और दूसरी भाषाओं में पहुंच रही है। फिल्म मेकिंग के क्रिएटिव पहलू और आर्थिक संभावनाएं दोनों के लिहाज से यह बहुत ही अहम और सालों तक असर करने वाला बदलाव है।

​​धनुष इंटरनेशनल पहचान बना रहे हैं
धनुष की ‘जगमे थंडीराम’ फिल्म ग्लोबल मार्केट में चली है। धनुष नेटफ्लिक्स की ही एक और एक्शन एडवेंचर वेब सीरीज ‘दी ग्रे मेन’ में काम कर रहे हैं। इसमें क्रिस इवांस और रयान गोसलिंग उनके साथी कलाकार हैं।

इससे पहले धनुष भारत और फ्रेंच कोलोब्रेशन में बनी फिल्म ‘दी एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी जर्नी ऑफ दी फकीर’ में नजर आ चुके हैं। यह फिल्म फ्रेंच और अंग्रेजी दोनों भाषा में बनी थी। भारत की सड़कों पर घूमता एक जादूगर अजातशत्रु लवांश पटेल कैसे फ्रांस समेत कई देशों में पहुंचता है, यह कहानी विदेश में भी क्लिक हुई थी।

ग्लोबल मार्केट के लिए सही समय
नेटफ्लिक्स इंडिया की कंटेंट एंड एक्विजिशन डायरेक्टर प्रतीक्षा राव ने दैनिक भास्कर को बताया कि हमारा प्लेटफॉर्म 190 देशों में मौजूद है। हम एक भाषा की फिल्म को चुनकर उसे बहुत सारी भाषा में डबिंग और सबटाइटलिंग के सहारे पेश करते हैं।

उन्होंने बताया कि ये फिल्में सिर्फ भारत ही नहीं, पूरे विश्व की और भाषाओं के समुदायों में भी पसंद की जा रही हैं। नेटफ्लिक्स के सब्सक्राइबर्स साउथ इंडिया की फिल्में पसंद कर रहे हैं। भारतीय फिल्म मेकर्स को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि इनके लिए अपनी फिल्में पूरी दुनिया में पहुंचाने के लिए यह अच्छा समय है।

आरआरआर की ग्लोबल स्ट्रीमिंग
‘जगमे थंडीराम’ का प्रीमियर नेटफ्लिक्स पर ही हुआ था। एस.एस. राजामौली की फिल्म ‘आरआरआर’ पहले थिएटर में रिलीज होगी। इसके बाद इसे पुर्तगाली, स्पेनिश, तुर्कीश और कोरियन में रिलीज करने के राइट्स नेटफ्लिक्स ने खरीद लिए हैं।

450 करोड़ रुपए से ज्यादा बजट की इस फिल्म में हॉलीवुड स्टार रे स्टिवन्सन, एक्ट्रेस ओलिविया मोरिस और एक्ट्रेस एलीसन डूडी नजर आने वाले हैं। यह पीरियड फिल्म है। यह ब्रिटिश राज की कहानी है।

हिंदी फिल्मों में ‘हसीन दिलरूबा’ को स्पेनिश और पुर्तगाली, एके वर्सेस एके को अरेबिक, स्पेनिश, पोलिश, पुर्तगाली और तुर्कीश और लूडो को स्पेनिश, पुर्तगाली और तुर्कीश भाषा में डब किया गया है। एके वर्सेस एके को 40 से ज्यादा देशों में व्यूअरशिप मिली है।

मसाला नहीं, ग्लोबल कंटेंट चाहिए
साउथ इंडियन फिल्मों के ट्रेड एनालिस्ट श्रीधर पिल्लई ने दैनिक भास्कर को बताया कि ओटीटी की वजह से दोनों तरफ फिल्मों को ग्लोबल ऑडियंस मिल रहा है। हम यहां स्पेनिश और कोरियन मूवी देखने लगे हैं। ठीक वैसे ही, वहां हमारी फिल्में देखी जाने लगी हैं।

श्रीधर बताते हैं कि वे लोग जो हिंदी या दूसरी कोई भारतीय भाषा नहीं जानते शायद अंग्रेजी भी नहीं जानते, वहां तक हमारी फिल्में पहुंच सकती हैं। हमारे पास क्षमता है, मगर हमारे फिल्म मेकर्स को ग्लोबल मार्केट टैप कैसे किया जाए, यह सोचना होगा।

जगमे थंडीराम में थी यूनिवर्सल अपील
एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री ट्रैकर रमेश बाला ने दैनिक भास्कर को बताया कि ‘जगमे थंडीराम’ में ग्लोबल ऑडियंस को अट्रैक्ट कर सके वो सारी बातें मौजूद थीं। इसमें नस्लवाद की कहानी है, रिफ्यूजी क्राइसिस है, इमीग्रेंट्स की परेशानी है। दूसरा कि, इसमें जेम्स कॉस्मो जैसे फॉरेन के कई सारे आर्टिस्ट हैं। फिल्म का ज्यादातर हिस्सा यूके में शूट हुआ है। एक यूनिवर्सल अपील के लिए यहां पूरा पैकेज है।

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